बिहार: केके पाठक के फरमान पर फिर उठा सवाल!
नाम काटने पर हेडमास्टर व बीईओ पर सदेह कारण बताओ नोटिस!

/// जगत दर्शन न्यूज
बेतिया (बिहार): बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने पिछले दिनों एक फरमान के अनुसार अगर कोई बच्चा लगातार 15 दिनों तक सरकारी स्कूलों में नामांकन लेने के उपरांत पढ़ाई करने नहीं आता है तो फिर उसका नाम काट दिया जाएगा। इसके बाद पाठक के इस आदेश का पालन करते हुए विभिन्न जिलों के शिक्षा पदाधिकारी के तरफ से अब तक लगभग एक लाख बच्चों के नाम काट दिए गए हैं। पर अब एक स्कूल में शिक्षक को बच्चे का नाम काटना महंगा साबित हो रहा है।
बताया जाता है कि अब इसी मामले को लेकर बेतिया के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने एक स्कूल के प्रधानाध्यापक और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को सदेह उपस्थित होने का आदेश जारी कर दिया है। बेतिया (पश्चिम चंपारण) के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अनुसार केके पाठक का आदेश RTE 2009 का उल्लंघन है। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने कहा है कि इस प्रकार से बच्चों का नाम काटना शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 एवं संविधान की धारा-2 के अंतर्गत 14वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा लेना दिलाना मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य है। किसी बालक को वर्णित अधिकारों से वंचित करना कानून का घोर उल्लघन है। अतः इस संदर्भ मे समिति सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए आदेश दिया गया है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी हौरिया एवं सबंधित विद्यालय के प्राध्यापक को 19 सितंबर को दोपहर 02:30 बजे तक विद्यालय के उपस्थिति पंजी एवं एमडीएम पंजी के साथ समिति के समक्ष सदेह उपस्थित कराएं जिससे की यह पता चल सके कि किन परिस्तिथियों में विद्यालय प्रशासन द्वारा बालक को शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
आपको बताते चले कि एक से अधिक स्कूलों में छात्रों का नामांकन होने के कारण और नामांकन डुप्लीकेसी की परंपरा को खत्म करने के मकसद से राज्य में कई बच्चों के नाम काटे जा रहे है। अभी तक के रिकॉर्ड के मुताबिक लगभग एक लाख बच्चों के नाम काटे जा चुके है। जानकारी के अनुसार बिहार के मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण और अररिया जिले में सर्वाधिक नाम काटे गए हैं।