रक्षाबंधन मुहूर्त कब और कैसे मनाया जाएगा?
✍️ज्योतिषाचार्य नागेंद्र शुक्ला
मांडीपुर कला, माँझी (सारण)
श्रावण शुक्ल भद्रा रहित और तीन मुहूर्त से अधिक उदयकाल व्यापिनी पूर्णिमा के अपराह्ण या प्रदोष काल में रक्षाबंधन करने का शास्त्रीय विधान है।
कैसा है इस वर्ष योग?
इस संवत्२०८० द्वितीय श्रावण शुक्ल पूर्णिमा ३०-८-२३ को प्रातः१०:१२बजे से प्रारंभ होकर ३१-८-२३ को प्रातः ७:४५ बजे तक है, जो ५घटि ५ पल है, जो तीन मुहूर्त से कम है। ३०-८-२३ को दिन के १०:१२ बजे अर्थात जब से पूर्णिमा प्रारंभ है, तभीं से रात के ८:५८ तक भद्रा व्याप्त है। भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी।
क्या कहते है शास्त्र?
निर्णय सिन्धु शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में रक्षाबंधन विशेष रूप से वर्जित है। याद रहे भद्रा चाहे कहीं भी हो (स्वर्ग, पाताल, भूमि) रक्षाबंधन में विशेष रूप से वर्जित है। पुरुषार्थ चिन्तामणी के अनुसार यदा द्वितीयापराह्णात् पूर्व समाप्ता, तदापि भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी इति। भद्रायां निषेधादुत्तरैव तत्रतिथ्यनुरोधेन अपराह्णात्पूर्वम् अनुष्ठाने अपराह्णस्थ सर्वथा बाधापते:,
अपराह्णे ज्योतिष शास्त्रप्रसिद्ध-तिथ्यभावेऽपि साकल्यबोधित-तिथि -सत्वात्तत्रैव अनुष्ठानम्। अर्थात पहले दिन पूर्णिमा के अपराह्ण में भद्रा हो और दूसरे दिन पूर्णिमा त्रि मुहूर्त व्यापिनी हो तो चाहे भद्रा अपराह्ण से पूर्व ही समाप्त जाए तो भी दूसरे दिन अपराह्ण में ही रक्षाबंधन किया जाता है, क्योंकि उस काल में साकल्यापादित पूर्णिमा का अस्तित्व रहेगा। यदा तूत्तरत्र मुहूर्तद्वय त्रय मध्यमे किञ्चित् यूनापौर्णमासि, तदापराह्णे सर्वथा तद्भावत्,प्रदोषे -
पश्चिमे यामौ दिनवत् कर्म चाचरेत्,इति पराशरात् भद्रान्ते प्रदोषयामेऽनुष्ठानम्।अर्थात दूसरे दिन पूर्णिमा त्रि मुहूर्त व्यापिनी न हो तो इस दिन अपराह्ण में साकल्यापादित पूर्णिमा भी नहीं रहेगी।ऐसी स्थिति में पहले दिन ही भद्रा समाप्ति के बाद प्रदोष के उत्तरार्ध में ही राखी बांधी जायेगी।यहां यह बात ध्यान देने योग्य है कि ३० अगस्त २०२३ ई को लगभग संपूर्ण प्रदोष काल भद्रा से दूषित है। यहां शास्त्रकारों ने प्रदोष के बाद भी भद्रा रहित रात्रि काल में रक्षाबंधन को विहित बतलाया है । जैसे - "तत् ( भद्रा) सत्वे तु रात्रावपि तदन्ते कुर्यात्।"(निर्णयामृत) उदये। त्रिमुहूर्त्तन्यूनत्वे पूर्वेद्यु: भद्रारहिते प्रदोषादिकाले कार्यम्। (धर्मसिन्धु)
कब मनाएं रक्षा बंधन?
शास्त्र निर्देशानुसार ३० अगस्त २०२३ को रात ८:५८ के बाद ३१ अगस्त २०२३ के प्रातः ७:४५ तक रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनावें। विशेष -अत्यावश्यक परिस्थितिवश (यात्रा - भ्रमण सुविधा उपलब्ध नहीं होने पर, फौज आदि में कार्यरत, आपदा ग्रस्त लोगों की सहायता कार्य में लगे) परिहारस्वरुप भद्रा मुख काल का विशेष रुप से परित्याग कर भद्रा पुच्छकाल में भी रक्षाबंधन करना कुछ मर्यादा तक शुभ और ग्राह्य होगा।
कहा है- "कार्येत्वावश्यके विष्टे: मुखमात्रं परित्यजेत्"
(मुहूर्त -प्रकाश) परन्तु ध्यान रहें। रक्षाबंधन के लिए यथाशक्य सर्वथा भद्रारहित काल ही अभीष्ट है। 31.08.2023 सुबह 7.45 तक ही मनाएं रक्षा बंधन।