पुण्य स्मृति
डॉ बिंदेश्वर पाठक: बिहार का नाम रोशन किया!
/// जगत दर्शन
✍️राजीव कुमार झा
उस समय जिला स्कूल सहरसा में मैं नौवीं या दसवीं में पढ़ता था और कुछ महीने पहले स्वच्छता जागरूकता के लिए सुलभ आंदोलन विषय पर छात्र छात्राओं के लिए आयोजित लेख प्रतियोगिता में भाग लिया था।इस प्रतियोगिता की जानकारी अखबारों में प्रकाशित हुई थी और मैंने भी अपना लेख भेजा था। इस लेख प्रतियोगिता में शामिल लोगों को बाद में पटना के अदालतगंज के पास स्थित सुलभ इंटरनेशनल के परिसर में आमंत्रित किया गया था और यहां बिंदेश्वर पाठक के हाथों मुझे भी निबंध प्रतियोगिता में सहभागिता का प्रमाण पत्र मिला था। वहां कार्यक्रम में किसी प्रतिभागी ने 'इच्चिक दाना इच्चिक दाना दाने के ऊपर दाना इच्चिक दाना। छत के ऊपर लड़की नाचे लड़का है दीवाना इच्चिक दाना ' गीत गाया था जिसे सुनकर बिंदेश्वर पाठक ने उसे दस हजार का इनाम दिया था।
सहरसा से बाहर यह मेरी पहली अकेली यात्रा थी। शाम में मैं पाटलिपुत्र एक्सप्रेस से बड़हिया के इंदुपुर स्थित अपने घर लौट आया था। दिल्ली में रहने के दौरान निशांतकेतु जी से भी भेंट हुई। वह पाठक जी के मामा थे।एक दिन पालम विहार जाकर उनसे मिला और वे उन दिनों सुलभ इंटरनेशनल की पत्रिका चक्रवाक के संपादक थे। उन्होंने अपनी लिखी कुछ किताबें और चक्रवाक की पुरानी प्रतियां भेंटस्वरूप मुझे दीं। इनमें जिस्म के छिलके नामक पुस्तक के अलावा याज्ञवल्क्य के बारे में लिखी उनकी पुस्तक भी है।मैं लक्ष्मी नगर और पालम विहार के बीच की लंबी दूरी से उनकी पत्रिका में काम करने के लिए सहमत नहीं हुआ और ज्ञानपीठ में ही रोज फ्री लांसर के तौर पर काम करने के लिए जाता रहा। बाद में एक दिन निशांतकेतु जी ने एक दिन मुझे फोन करके कहा कि मेरी पत्नी शुभदा पांडेय बिहार में कला संस्कृति विभाग की मंत्री बन गयी हैं। आप अपना बायोडाटा उन्हें जाकर दे सकते हैं। उस समय मैं प्रकाशन संस्थान में हरिश्चंद्र शर्मा के यहां संपादक के तौर पर काम करता था और काफी पैसा कमा लेता था। हरिश्चंद्र शर्मा से उन दिनों हरिवंश भी अपने लेखों का संकलन प्रकाशित कराना चाहते थे और पटना से कई खंडों में अपने लेखों को उन्होंने भिजवाया था और इनमें ज्यादातर लेख झारखंड के बारे में थे।
हरिवंश आज राज्य सभा के उपसभापति हैं लेकिन इससे पहले प्रभात खबर के संपादक के रूप में उनका जीवन रांची में व्यतीत हुआ और उनके लेखों को पढ़कर मुझे झारखंड आंदोलन के बारे में पता चला। उन्हें दिनभर मैं पढ़ता रहता था और शाम में हरिश्चंद्र शर्मा मुझे काफी पैसे दे दिया करते थे। बिंदेश्वर पाठक के बारे में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन वह समाज शास्त्री माने जाते हैं और काफी मिलनसार कहे जाते हैं। उन्होंने बिहार का नाम सारे संसार में ऊंचा किया। वह कांग्रेसी विचारधारा के व्यक्ति थे।