साहित्य/लेखन: पुस्तक समीक्षा
समकालीन हिंदी साहित्य: सारे देश के कवियों की कविताओं का सुंदर और संग्रहणीय संकलन!
समीक्षक: राजीव कुमार झा
पुस्तक का नाम: आवाज रचनाकारों की
संपादन: डॉ. तपस्या चौहान
प्रकाशक: गीता प्रकाशन 4-2-771 रामकोट चौरस्ता
हैदराबाद 500001
तेलंगाना
मोबाइल 9849250784
डॉ. तपस्या चौहान के संपादन में प्रकाशित 'आवाज रचनाकारों की' समकालीन हिंदी कविता में सृजनरत विभिन्न पीढ़ियों के लेखकों की प्रतिनिधि रचनाकारों का पठनीय संग्रह है। इसमें संग्रहित लेख और कविताएं बरबस ही सबका ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करते हैं। पुस्तक के पहले खंड में इसमें डॉ. तपस्या चौहान का दलित कहानी के बारे में लिखी रचना इस लेखनधारा की प्रवृत्तिगत विशिष्टता पर प्रकाश डालता है और इसी संदर्भ में डा. नागेन्द्र जगन का लेख भी उल्लेखनीय है और इसमें आधुनिक हिंदी उपन्यास और अस्तित्ववाद विषय पर विवेचन किया गया है।
इसके अगले लेख में 'डॉ. के. निर्मला के द्वारा समकालीन हिंदी उपन्यासों में सामाजिक चेतना विषय पर वैचारिक विमर्श पढ़ने को मिलता है। इसके बाद एक लेख में डा . दासरी मौलाली के लेख में अहिंदी भाषी प्रदेश के हिंदी लेखन की चर्चा है और इसके अगले एक लेख में एस.एन.उपाध्याय ' बना' ने गुगल और इंटरनेट के वर्तमान जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताया है। साहित्य के अलावा इस संकलन के एक लेख में तेलंगाना के सांस्कृतिक पर्व बोनालू के बारे में जानकारी प्रस्तुत की है। इसी प्रकार डॉ. ओमप्रकाश चौधरी का राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 के बारे में लिखा लेख भी पठनीय है । डॉ. एस. कृष्ण बाबू का लेख समाज में संप्रेषण के महत्व से अवगत कराता है और श्रीमती अमला देवी ने अपने लेख में सुपरिचित लेखक हरिशंकर परसाई के व्यंग्य लेखन से अवगत कराया है।
इस पुस्तक के दूसरे खंड में आज के दौर के कई प्रमुख कवियों की कविताएं संकलित हैं और इनमें डॉ. कालिंदी बृजेश त्रिपाठी, पूजा त्रिपाठी, फरजाना की कविताओं में प्रेम और रोमांस की अनुभूतियां सहजता से समाई हैं। इस संदर्भ में डा. केसरबेन राजपुरोहित की कविता 'दो प्रकृतियां' भी पठनीय है और इसमें वर्तमान परिवेश में स्त्री मन के सहज भावों को उसके भीतर - बाहर के जीवन
के साथ कवयित्री ने देखने जानने की चेष्टा की है। इस संग्रह की अगली एक कविता में केरला की कवयित्री डॉ. रश्मि कृष्णन ने बच्चों के माध्यम से समाज में अनुशासन के आसपास जीवन के कुछ वर्तमान प्रसंगों पर विचार किया है।
सुषमा खजुरिया की कविता महाराणा प्रताप के देश सेवा के उदात्त आदर्शों को सामने रखती है। उषा टिक्केवाल की कविता ' तेरा इंतज़ार ' प्रणय में संयोग - वियोग के भावों से जुड़ी संवेदना पर आधारित है। वीएनवी पद्मावती की कविता 'आवाज उठाओ' आज के विषम परिवेश में हमारी जिजीविषा को संघर्ष की ओर उन्मुख करती है और इसके बाद गीतिका सक्सेना की कविता भ्रूण हत्या से जुड़े समाज में लोगों की अनैतिक सोच की घृणित सच्चाई को उद्घाटित करती है। गिरीश चन्द्र ओझा 'इन्द्र' ने अपनी कविता में बदलते दौर में गांवों में गुम होते जाने वाले पारंपरिक जीवन को अपनी स्मृति
- विस्मृति में समेटने की चर्चा की है।
साधना ठाकुर की कविता में आध्यात्मिक भावों का समावेश और ईश्वर की महिमा के अलावा उससे समग्र संसार के कल्याण की कामना है। डॉ हंसा सिद्धपुरा की कविता में नारी ह्दय का आत्मिक उद्गार समाया है। शेखर
कुमार गुंजन की कविता 'मानव धर्म' में दलित चिंतक और उद्धारक डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति आदर सम्मान के भावों की अभिव्यक्ति है। इसी प्रकार तेलंगाना के कवि समीउल्लाह खान की कविता में पिता के प्रति लेखक के मन के सहज निश्छल भावों की अभिव्यक्ति हुई है। उनकी दूसरी अन्य कविताएं भी पठनीय हैं। डॉ. स्वाति व्यास की कविता' जिंदगी है कहां 'वर्तमान यांत्रिक युग में नैसर्गिक जीवन से दूर होते मनुष्य के मन की बातों को अपने कथ्य में समेटती है।कटक की कवयित्री शेफाली सहासमल की कविता में भी इसी प्रकार के भावों की अभिव्यक्ति हुई है। इसी तरह जम्मू के कवि अशोक चाढ़क की कविता में वर्तमान समाज के प्रति कवि के मन का आक्रोश प्रकट हुआ है। चवाकुल रामकृष्ण राव की कविता 'महान विश्व गुरुदेव भक्ति' में भारतीय जीवन परंपरा में गुरु की महिमा का बखान किया गया है।
दिनेश सिंह की कविता जीवन संघर्ष में आदमी की जिजीविषा के प्रति प्रेरणा का भाव प्रकट हुआ है। अवसुला श्रीनिवासाचारी की कविता 'एक औरत' में समाज की असहाय महिलाओं की जीवन व्यथा का समावेश है। सुरेन्द्र कुमार सागर की कविता में भी अंंबेदकर के विचारों पर आधारित चिंतन का समावेश है। दिल्ली की कवयित्री सीमा शर्मा ने अपनी कविता 'निर्भय' में नारियों से उत्पीड़न के विरुद्ध संघर्ष में साहस से आगे बढ़ने का आह्वान किया है।
अपनी कविता श्रम साधना में जितेश्वरी साहू सचेता ने श्रमिक पिता के जीवन संघर्ष को कविता का विषय बनाया है। राजकुमार शर्मा मधुराज ने भी अपनी कविता में पिता के प्रति अपने हृदय के अक्षय प्रेम को प्रकट किया है। जयपुर की कवयित्री पूजा माहेश्वरी ने मन अपने परायों की पहचान के साथ इससे जुड़ी मन की आहट को कविता का प्रतिपाद्य बनाया है। श्रीमती कोमल यादव की कविता 'कच्ची-गीली मूंगफलियां' में वात्सल्य रस का समावेश है।
कवयित्री रानी की कविता शीर्षक ' उड़ान' में नारी के सहज अरमान प्रस्फुटित हुए हैं। इसी प्रकार छाया दोन्दलकर की कविता में प्रेम के सहज रंगों से कला जिंदगी के वितान पर रोमांस के भावों को प्रकट करती है। डॉ. जयप्रकाश नागला की कविता में भी प्रेम के भाव सहजता से सबका ध्यान जीवन की सुंदरता की ओर आकृष्ट करते हैं।
लक्ष्य कविराज की कविता में छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता सेनानी वीर नारायण सिंह की महान जीवन गाथा का वर्णन है।सिरिसिल्ला गफूर की कविता युवकों को जीवन निर्माण की प्रेरणा प्रदान करती है। डॉ. मुन्ना लाल देवदास की कविता में देश के नवनिर्माण का आह्वान है। इसी प्रकार अपनी एक कविता ' समंदर की लहर सी तुम ' प्रेम की सरस सहज अनुभूतियों को प्रकट करती है। इस काव्य संग्रह में राजीव कुमार झा की कविता रामराज्य, सोने का हार, कागज की नाव और बाबू जी भी संग्रहित है। संदीप कुमार की कवितख में आज की चुनावी राजनीति की विषमता का वर्णन इसे पठनीय बनाता है। इसी प्रकार गायत्री राय की कविता में नारी मन और तरुणाई की आहट को अनुभूतियों का रूप प्रदान करती है।मधु बावलकर की कविता 'जगाकर चलें' देश में पृथकतावाद और विघटन की उभरती प्रवृतियों से सबको सचेत करती है। रजिया सुल्ताना ने अपनी कविता में नवगठित राज्य के रूप में तेलंगाना का जयगान किया है।
यशोदा साहू की कविता में समाज के प्रति नारी के जीवन अवदान का स्मरण है। इसके अलावा इस काव्य संकलन में चंद्रहास सेन, जुगेश चंद्र दास, हेमराज निषाद और राजेन्द्र कुमार साहू की कविताएं भी पठनीय हैं।
ईश्वरी प्रसाद जोशी की कविता बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे का संदेश लोगों को देती है। रोहित सिंह ने अपनी कविता में जीवन में योग के महत्व का प्रतिपादन किया है। इसी प्रकार एस .बी .सागर प्रजापति की कविता में कवि भाग्य की तुलना में कर्म को जीवन के लिए जरूरी मानता है। डॉ बृजबाला गुप्ता ' अर्चना 'ने आज के बदलते दौर में अंगदान के महत्व पर प्रकाश डाला है और उनकी एक कविता लोगों को स्वच्छता का संदेश भी देती है। सुनीता यादव ने अपनी कविता में देश में हिंदी भाषा के महत्व का प्रतिपादन किया है। कवि पुरुषोत्तम सोनी 'मतंग' की कविता देशवासियों को आपस में प्रेमभाव से रहने का संदेश देती है। इस काव्य संग्रह में बी . तिरुमाला देवी की कविता में समय के साथ जीवन संस्कृति में आने वाले बदलावों के बीच समाज के विभिन्न तबके के लोगों में अनुचित बातों के समावेश की चर्चा हुई है।
प्रज्ञा आंबेडकर की कविता में जम्मू की प्राकृतिक सुंदरता का चित्रण है। कवि प्रकाश पांडेय ' बंजारी ' की कविता समाज में चतुर्दिक व्याप्त संकटों के बीच आदमी के जीवन की सच्चाई का बयान करती है। रेखा देवी की कविता में भारतीय नारी के हृदय का पति प्रेम प्रकट हुआ है। डॉ . कोंडापल्ली निहारिनी की कविता में परमवीर चक्र विजेता मेजर होशियार सिंह दाहिया के यशस्वी जीवन कथा का वर्णन है । बेबी अहिरवार की कविता मां - बेटी के अटूट रिश्तों की कथा का बयान करती है। मोहम्मद मंसूर की कविता लोकतंत्र के नोटतंत्र में बदलने की त्रासदी से अवगत कराती है। सरल कक्काड की कविता में नदी के प्रति प्रेम भाव प्रवाहित है।
श्रीमती अमला देवी की कविता में गलियों के कुत्तों के प्रति कवयित्री के हृदय का स्नेह भाव जाग्रत है। यम सेतुपति की कविता भी पठनीय है। इसमें भूख और देवी के रूप में औरत की गरिमा कविता के केन्द्र में है।
श्रीमती मुन्नी की कविता पापा का प्यार घर आंगन के बीच परिवार के सभी सदस्यों में पिता के प्रेमपूर्ण रिश्तों की याद दिलाती है। प्रभात कुमार प्रभात की कविता बालिकाओं और कन्याओं के जीवन में निरंतर आगे बढ़ने के भाव पर आधारित है ।
कवयित्री कन्नगी की कविता में वर्तमान दौर में आदमी के जीवन की नयी यांत्रिक व्यस्तता और भागदौड़ में उसके मनप्राण की सहजता के लुप्त होने की व्यथा को अंतर्वस्तु में समेटती है। तिरुपति की कवयित्री आर . वाणी श्री की कविता समस्त देशवासियों को प्रेम की सच्ची डोर में बंधने का संदेश देती है।
अर्चना ओझा की कविता जीवन में प्रेम की सर्वस्वता का प्रतिपादन करती है और खैरागढ़ की कवयित्री श्रीमती निहारिका ओम झा की कविता में भी पिता के प्रति प्रेम भाव की अभिव्यक्ति हुई है। विभा पांडे की कविता में गांव के लोगों के बदलते जीवन की झलक समाई है। इसी प्रकार पल्लवी शर्मा की कविता लव जिहाद के माध्यम से आज के समाज में फैलते प्रेम के भयावह सच से हमें वाकिफ कराती है। सुनील कुमार आनंद की कविता प्रकृति में एसी और क्लोरोफ्लोरो कार्बन के फैलते दुष्प्रभावों से अवगत कराती है। सिलीगुड़ी के कवि महावीर सिंह ने अपनी कविता में तमाम तरह के सामाजिक लांछनों के बीच घर परिवार के प्रति औरतों के जीवन में उनके समर्पण भाव को कथ्य में समेटती है। इस पुस्तक में तेलुगु और अंग्रेजी की कुछ कविताएं भी संकलित हैं।