दिव्यालय एक व्यकितत्व परिचय में हुआ साक्षात्कार!
/// जगत दर्शन न्यूज
अतिथि- डाॅ प्रमोद त्रिपाठी एवं डाॅ पवन त्रिपाठी
होस्ट- किशोर जैन
रिपोर्ट- सुनीता सिंह "सरोवर"
सेहत से भरपूर हो, बच्चों का आहार!
फल सब्जी अरु दुग्ध ही, है सच्चा उपहार!
हर माता पिता को अपना बच्चा सबसे प्यारा होता है। अपनी आँखों का नूर होता है। हर पालक का सपना होता है कि उसके बच्चे में अच्छे संस्कार हों। अपने बच्चे का सर्वागीण विकास हो। हर बच्चा अपने साथ कुछ संस्कार लेकर जन्म लेता है। पालकों को उन संस्कारों को उभारने की जरूरत होती है, पर आज के समय में बच्चों को संतुलित आहार के साथ व्यायाम की भी बहुत जरूरत होती है। हमें गूगल पर तो बहुत तरीके मिलते हैं पर वे तरीके कितने सही हैं? सही हैं भी या नहीं? इन्हें जानने के लिये दिव्यालय परिवार आज व्यक्तित्व परिचय में हमारे देश के जाने माने दो बाल विशेषज्ञ डॉ प्रमोद त्रिपाठी एवं डॉ, पवन त्रिपाठी से मिलवाने जा रहा है। इनसे हम सब जानेंगे कि कैसे हम आज की अपनी उभरती पीढ़ी को शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बना सकते हैं।
प्रश्न- सर, आजकल बच्चे पूरा समय स्कूल में जूते पहने रहते हैं, जिससे उन्हें पैरों में एलर्जी हो जाती है तो उससे बचने के उपाय बताइये?
उत्तर- जी! उसके लिए चाहिए कि जब वे घर आए तो बच्चों के पैरों की अच्छे से सफाई हो, नमक वाले पानी या हल्दी युक्त पानी से धोकर पोछ दिया जाए। बहुत जरूरत हो तो डाॅक्टर से सलाह लिया जाए।
प्रश्न- आजकल बच्चे घर की रोटी सब्जी दाल खाने की जगह पिज़्ज़ा व बर्गर में ज्यादा इंटरेस्ट लेते हैं। तो ये जंक फूड खाना कहाँ तक अच्छा है?
उत्तर- देखिए! जंक फूड तो किसी भी तरह से अच्छा नहीं होता। हाँ, पर आज के युग और हालात के अनुसार कभी कभी सप्ताह या महीने में एक बार खाने की इजाज़त होनी चाहिए, क्योंकि घर के बने खाने का कोई शानी नहीं, ताजा और शुद्ध भोजन सेहत के लिए सबसे बेहतरीन उपाय है।
प्रश्न- आजकल छोटे- छोटे बच्चे भी अवसाद का शिकार हो रहें हैं, आखिर इस अवसाद से बचने और खुशहाल बचपन को बचाने के लिए क्या उपाय है?
उत्तर-- जी, माना कि आजकल के परिवेश और प्रतियोगिता को देखते हुए माता- पिता का भी बहुत दबाव रहता है। कभी अच्छे मार्ग पर चलने के लिए कभी अपने सपनों का भी बोझ बच्चों के कंधे पर रहता है, इसलिए भी बच्चे अवसाद से ग्रस्त होते हैं।
प्रश्न- सर बैलैंस डाइट क्या है?
उत्तर- जी हमारी थाली में दाल चावल रोटी हरी सब्जी के साथ पचास प्रतिशत सलाद और फल की मात्रा होनी चाहिए, जो हमारे सेहत के लिए जरूरी भी है, जिसे बैलैंस डाइट कहा जाता है। इसमें दलिया और मोटे अनाज जैसे बाजरा, रागी अंकुरित चने मूंग इत्यादि भी होनी चाहिए।
प्रश्न- अंत में आप बच्चों से क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर- यही कि चिप्स, चाकलेट, हार्लिक्स बोर्नविटा या फिर पैक्ड फूड से जितना हो सके दूरी बनाए अच्छा रहेगा। ये सब जहर का काम करते हैं। आने वाले समय में इसका नतीजा बहुत ही भयानक होगा। जो बीमारी हम 50 - 60 वर्ष की आयु वाले में देख रहे हैं, ये हमारे आने वाली पीढियों में 25-30 वर्ष में ही देखने को मिलेगा। इसलिए सावधान रहे, हमारे देशी खाने के डाइट प्लान को अपनाएँ और लम्बी उम्र खुशहाल जीवन पाए।
अंत में बेहतरीन संचालन कर रहे यू.के. से किशोर जैन ने अपने अतिथि को धन्यवाद दिया। इस नेक व सराहनीय कार्य के लिए दिव्यालय की संस्थापक व कार्यक्रम आयोजक व्यंजना आनंद 'मिथ्या' और पटल अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक मंजिरी "निधि" 'गुल'जी को कार्यक्रम आयोजन के लिए धन्यवाद दिया तथा बताया कि इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण Vyanjana Anand Kavya Dhara यूट्युब चैनल पर लाइव हर बुधवार शाम सात बजे हम देख सकते हैं। या उसकी रेकॉर्ड वीडियो को बाद में देखा जा सकता है।