बिहार का अनोखा गांव: यहां 40 घरों में है होम्योपैथ का डॉक्टर!
दूर-दूर से इलाज कराने आते हैं लोग!
रिपोर्ट: वीरेश सिंह
वैशाली (बिहार): फौजियों या पुलिस कर्मियों के गांव का नाम तो आपने अब तक खूब सुना होगा। आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जो डॉक्टरों का गांव है। डॉक्टर भी होम्योपैथ के 1200 की आबादी वाले इस गांव का हर 40वां व्यक्ति यहाँ होम्योपैथ का डॉक्टर है। यही कारण है कि गांव के 80 फीसदी लोग बीमार होने पर होम्योपैथ पद्धति से इलाज करवाते हैं।
ये है वैशाली जिले के बिदुपुर प्रखंड का चकमसूद गांव। चकमसूद को इलाके में डॉक्टरों के गांव के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस गांव के 40 घरों में होमियोपैथ के डॉक्टर हैं, जबकि गांव की आबादी लगभग 1200 है। 80 प्रतिशत लोग होमियोपैथ से ही अपना इलाज करवाते हैं।
लोग बताते हैं कि गांव के अयोध्या प्रसाद कोलकाता से पढ़ाई कर आए थे, जो शिक्षक बने। लेकिन बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ होमियोपैथ से लोगों का इलाज भी करते थे। वह गांव में होम्योपैथ के पहले चिकित्सक थे। बाद में एक के बाद एक कर आज 30 डॉक्टर गांव में हो गए हैं। दूसरे जिले से भी इलाज कराने आते हैं मरीज। यहां वैशाली ही नहीं, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, छपरा, समस्तीपुर आदि जिलों से भी मरीज इलाज कराने आते हैं।
इस संबंध में गांव के चिकित्सक डॉ. सतीश प्रभाकर बताते हैं कि उनके चाचा अयोध्या बाबू कोलकाता से पढ़ाई कर जब बिहार लौटे थे, तो वे सरकारी शिक्षक नियुक्ति हो गए। स्कूल के बाद वे होमियोपैथ का प्रैक्टिस करते थे और लोगों का इलाज करते थे। उन्होंने कहा, "जब उनकी उम्र ढल गई, तो मेरे पिताजी जो हाजीपुर में प्रोफेसर थे, उन्हें नौकरी से छुड़ाकर होम्योपैथ प्रैक्टिस में लगवा दिए। इसके बाद पिताजी ने भी प्रैक्टिस करते हुए कई सालों तक लोगों की सेवा की। धीरे-धीरे गांव के अन्य लोग भी चाचा और पिताजी से जुड़ते गए। आज हमारे गांव में हमारे क्लीनिक से 15 से 20 लोग डॉक्टर बने हैं। पूरे गांव में 30 से अधिक डॉक्टर हैं फ्री में करते थे इलाज।"
सतीश प्रभाकर बताते हैं कि "चाचा जी फ्री में इलाज करते थे। उनके ही बताए राह पर अभी भी हम लोग इलाज कर रहे हैं। किसी भी मरीज से डॉक्टर की फीस नहीं ली जाती है। सिर्फ दवा का पैसा यहां लगता है। इसी गांव के एक व्यक्ति जो पटना एम्स में इलाज करा रहे थे, उन्हें डॉक्टर ने जवाब दे दिया था। इसके बाद वह मेरे क्लीनिक पर आए। हमने उनका इलाज किया तो एक सप्ताह में स्वस्थ हो गए।"