छपरा के लाल अजय कुमार सिंह को सारण रत्न से किया जाएगा सम्मानित!
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: आगामी 13 एवं 14 मई 2023 को छपरा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के शुभ अवसर पर विशिष्ट प्रतिभा के धनी राष्ट्र की सेवा में लगे हुए श्री अजय कुमार सिंह, आईआरएस को सारण रत्न से सम्मानित किया जा रहा है।
उपायुक्त अजय कुमार सिंह के जीवन संघर्ष पर आधारित बनी हिंदी फीचर फिल्म अजब सिंह की गजब कहानी के मुख्य नायक श्री अजय कुमार सिंह आईआरएस ऑफिसर हैं।अजब सिंह की गजब कहानी असंभव को संभव बना देने की कहानी है। यह कहानी जीवन की तमाम प्रतिकूलताओं को अनुकूलता में बदल देने की कहानी है।
छपरा के मांझी प्रखण्ड का डुमरी गांव जहां एक साधारण किसान परिवार में अजय कुमार सिंह का जन्म हुआ। घर में बेपनाह गरीबी थी किंतु पिता श्री चंद्रदेव सिंह की चाहत थी कि उनका बेटा पहले एक काबिल इंसान बने। इनका दाखिला मांझी के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में कराया गया। मगर तकदीर कुछ और ही कथा लिख रही थी। अजय सिंह जब महज 5 साल के थे तो दीपावली के पटाखे की चपेट में आने के कारण इनकी आंख खराब हो गई और कान भी खराब हो गये और यह हंसता खेलता बच्चा अचानक दिव्यांग हो गया। गरीबी के बावजूद उपलब्ध सारे संसाधनों के द्वारा इनकी चिकित्सा भी करवाई गई किंतु उसका कोई लाभ नहीं हुआ। इस दिव्यांगता के बाबजूद एवं अपने सहपाठियों द्वारा मजाक का पात्र बन कर भी अजय सिंह कभी निराश नहीं हुआ क्योंकि अजय सिंह के सिर पर फौलादी इरादे वाली उनकी मां का हाथ था जिसने अजय सिंह को तमाम प्रतिकूलताओं के बीच चट्टान की तरह अडिग रहने की कला सिखलाई थी। बाधाओं को पार करता हुआ अजय सिंह प्रथम श्रेणी से मैट्रिक की परीक्षा पास करता है।
यह दिव्यांगता बार-बार अजब सिंह के मार्ग को रोकने का प्रयास करती है साथ ही साथ बेपनाह गरीबी की मार से भी अजय सिंह घबराता नहीं है। कृषि विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री पा लेने के बाद अजय सिंह की नियुक्ति गन्ना अधिकारी के रूप में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा हो जाती है। बगल के एक दबंग ठाकुर द्वारा अजय सिंह के परिवार के खिलाफ उसकी शादी पकड़ कर अपनी बेटी द्वारा कर दी जाती है।
गन्ना अधिकारी के रूप में अजय सिंह किसानों के हित में मिल मालिकों के खिलाफ खड़ा हो जाता है और यहां भी उसे जनहित के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अधिकारियों और मिल मालिकों की मिलीभगत से उबकर अजय सिंह अपनी नौकरी छोड़ देता है और यूपीएससी की तैयारी करने दिल्ली चला जाता है।
पहले प्रयास में ही अजय सिंह आईआरएस अधिकारी बन जाता है। प्रशिक्षण के दौरान एक बार पुनः उसे प्रतिकूलताओं का सामना करना पड़ता है। अजय सिंह राष्ट्रभक्त है। वह भारत माता का सपूत है। वह भारत माता की बोली हिंदी को जान से भी ज्यादा प्यार करता है। इसलिए प्रशिक्षण के दौरान वह सारी परीक्षाएं हिंदी में ही देता है। प्रशिक्षण संस्थान में हिंदी को स्थापित करने वाला यह पहला पदाधिकारी साबित होता है।
अजय सिंह की पहली नियुक्ति जमशेदपुर झारखंड में सहायक आयकर आयुक्त के रुप में होती है। यह अधिकारी आयकर विभाग में भी राजभाषा हिंदी को स्थापित कर देता है। कर निर्धारण आदेश इसके कार्यालय से हिंदी में निकलने लगते हैं और आम जनता प्रभावित होती है। राजभाषा हिंदी में कर निर्धारण के कारण लोग आयकर विभाग की दुरुहता को सहजता पूर्वक समझ पाते हैं और ज्यादा से ज्यादा कर का संग्रह होता है।
भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा 7 मार्च 2014 को भारत सरकार की राजभाषा सचिव और उड़ीसा के गवर्नर डॉक्टर एस सी जमीर द्वारा सर्व श्रेष्ठ हिंदी में कार्य निष्पादन के लिए इन्हें राजभाषा सम्मान से सम्मानित किया जाता है।
अजब सिंह की गजब कहानी एक ऐसी फिल्म है जो युवा पीढ़ी को अपने जीवन को सँवारने की कला सिखाती है। यह जीवन अस्तित्व की अनुपम देन है और साहस एवं हिम्मत जीवन की सफलता के मंत्र हैं। यह फिल्म इस मंत्र को पा लेने की कला सिखाती है और जीवन में सफल होकर राष्ट्र के लिए समर्पित होने को प्रेरित करती है।
अजय कुमार सिंह आज लाखों युवाओं के प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं। अब वे भारत के कोने में घूम घूम कर सोई हुई प्रतिभाओं को जगाने और उनके आत्मबल को बढ़ाने हेतु भारत के श्रेष्ठ मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में स्थापित हो चुके हैं। भारत के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में इनके अनेकों व्याख्यान आयोजित किए जा चुके हैं। यूपीएससी की परीक्षा में लगे हुए अभ्यर्थियों के लिए दिए गए इनके व्याख्यान लाखों युवाओं का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। इनके ओजस्वी व्याख्यान को यूट्यूब पर भी देखा जा सकता है। आजकल इनकी पदस्थापना आयकर विभाग भुवनेश्वर में है।
छपरा की धरती ने अनेक भारत रत्न पैदा किये हैं। भारतीय पंचांग के निर्माता पंडित राम जतन ओझा एवं राष्ट्र नायक श्री जयप्रकाश नारायण का जन्म इसी धरती पर हुआ है। छपरा यशस्वी विद्वानों, असंख्य वीरों, राजनीतिक रणनीतिकारों एवं श्रेष्ठतम प्रतिभाओं की धरती रही है। जीवन की भीषण प्रतिकूलताओं को सुअवसर में बदल लेने की कला अजय कुमार सिंह के जीवन की विशेषता रही है और इसलिए हर कदम पर सफलता उनका वरण करती रही है।
बता दें कि सारण अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन दिनांक 13 एवं 14 मई 2023 को किया जा रहा है। इस महोत्सव के शुभ अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री अजय कुमार सिंह को आमंत्रित किया गया है जिसमें उन्हें सारण रत्न से सम्मानित किया जाएगा।