रिपोर्ट: मंजू बंसल
बेतिया (बिहार): दिव्यालय -साहित्यिक यात्रा के आधुनिक संचार तंत्र के माध्यम से आभासी पटल पर दिनांक चार मार्च, शनिवार को अपराह्न तीन बजे से होली के उपलक्ष्य में साहित्य जगत् के पुरोधा महेश जैन ज्योति जी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया, जिसमें पटल संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या जी के साथ मुख्य अतिथि के रूप में कृष्णकुमार क्रांति, उपाध्यक्ष नरेंद्र वैष्णव सक्ती जी, सह सचिव यू़. के. से किशोर जैन जी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ नरेंद्र वैष्णव ‘ सक्ती’ के हस्त- कमलों द्वारा दीप-प्रज्वलन व रीता लोधा जी के अतुल शंख नाद द्वारा किया गया। तदुपरांत शुचिता नेगी जी ने मृदुल स्वर में वीणापाणी की वंदना कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
व्यंजना आनंद मिथ्या जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों व पदाधिकारियों का सुंदर शब्दों में स्वागत कर काव्य गोष्ठी का शुभारंभ किया, जिसमें विभिन्न प्रांतों के साहित्य-साधकों ने रंगोत्सव होली पर व फ़रवरी माह में आने वाले त्यौहारों व विशेष तिथियों पर छंदोबद्ध काव्य पाठ कर पूरे पटल को काव्य रस के विभिन्न रंगों से सराबोर कर दिया। मनीषा अग्रवाल प्रज्ञा, संतोष मोदी तृप्ति, मधु रूंगटा, मनीषा अग्रवाल रक़्स, व्यंजना आनंद मिथ्या, सुनीता सिंह सरोवर, कीर्ति मोहता कोमल, प्रेम शर्मा, पायल अग्रवाल, राधिका सरावगी, मंजु बंसल, नेहा भारतीय स्नेहिल , गरिमा काबरा, कमला सिंह, महेश जैन ज्योति जी सभी ने रचनाओं के माध्यम से जब रंगों की गंगा प्रवाहित तो ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो पूरा वातावरण कृष्णमय हो गया हो गया हो।
कार्यक्रम के अंतराल में लंदन से दिव्यालय पटल के सह सचिव व प्रमुख सलाहकार किशोर जैन जी के वरद हस्त कमलों द्वारा फ़रवरी माह की मासिक ई-पत्रिका का लोकार्पण किया गया, जिसमें पटल गुरुवर व साधकों ने कुण्डलियाँ छंद में शुभकामनाएँ व रचनायें समाहित हैं। किशोर जी के शब्दों में दिव्यालय साधकों को छंदों का ज्ञान देकर हिंदी वर्णमाला का उत्कृष्ट उपयोग कर रहा है। फागुन मास वास्तव में मस्ती भरा व कृषकों के लिये ख़ास महत्वपूर्ण है, जब खेतों में खड़ी नई फसल नव जीवन का संचार करती है, साथ ही उन्होंने वीर गाथा, बेटियों के विकास आदि विषयों पर भी साधकों को लेखनी चलाने हेतु प्रेरित किया। दिव्यालय की मासिक पत्रिका को अलंकरण, संपादन व संकलन के लिये व्यंजना आनन्द ' मिथ्या', मंजिरी निधि 'गुल', राजकुमार छापड़िया 'कुँअर', राजश्री शर्मा, मनीषा अग्रवाल'रक्स', रंजना गोयल, सविता खण्डेलवाल व सुनीता परसाई ने प्रशंसनीय व अनुकरणीय श्रम कर अद्भुत स्वरूप प्रदान कर रहें हैं।
कार्यक्रम का संचालन रीता लोधा व अरुणा अग्रवाल ने मनमोहक अंदाज में करते हुये ब्रज व नंदगाँव में कान्हा व राधा की अठखेलियों को प्रस्तुत कर सबको मुग्ध कर दिया। मुख्य अतिथि कृष्णकुमार क्रांति जी ने अपने उद्बोधन में सभी साधकों को शुभकामनाएँ प्रदान की।
पटल पर साहित्य जगत के मूर्द्धन्य वरिष्ठ साहित्यकार आ. प्रद्युम्न नारायण सिंह जी भी उपस्थित थे, जिन्होंने अपने वक्तव्य में काव्य गोष्ठी की भूरि-भूरि प्रशंसा की, संपूर्ण वातावरण ही राधामय हो गया। उन्होंने कहा कि राधा ही काव्य की अधिष्ठात्री हैं, राधा ही भक्ति की निर्झरिणी हैं, वे ही प्रेम का प्रतीक हैं। राधा में ही अनुभूति है, कारुण्य, लावण्य है, सभी नारियाँ राधा के स्वरूप को आत्मसात् कर लें तो वे स्वयं राधा सम हो जायें।
महेश जैन ज्योति जी ने अपने उद्बोधन अनुपम कार्यक्रम की बधाई देते हुये कहा कि साधक निरंतर साधना कर विभिन्न छंदों में परिपक्व होते जा रहे हैं, जिसका पूरा श्रेय पटल की संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या जी व अन्य गुरुजनों को जाता है। होली का त्यौहार भाई-चारे व जीवन में रंग भरने का व उल्लास का त्यौहार है। साथ ही दादा ने होली पर ब्रजभाषा में लोकगीत सुनाकर पटल को सराबोर कर दिया। अंत में व्यंजना आनंद मिथ्या जी ने कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा करते हुये धन्यवाद ज्ञापन किया एवं सभी साधकोंएवं पत्रिका में संलग्न सभी पदाधिकारियों का साधुवाद करते हुये कार्यक्रम समाप्त किया।