रामचरित मानस का अध्ययन व मनन कर उसे आत्मसात करने वाला मनुष्य दैहिक दैविक एवम भौतिक तीनों तापों से मुक्त हो जाता है : संत सियाराम दास जी महाराज
मांझी (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: भगवान श्री राम के जीवन चरित्र का जीवंत दस्तावेज तथा तीनों लोकों में प्रचलित अमर कथा है, श्री राम चरित मानस। रामचरित मानस का अध्ययन व मनन कर उसे आत्मसात करने वाला मनुष्य दैहिक दैविक एवम भौतिक तीनों तापों से मुक्त हो जाता है। ये बातें प्रखंड के बगोइयाँ स्थित योगी बाबा मंदिर परिसर में आयोजित श्री विष्णु महायज्ञ में सातवें दिन का प्रवचन करते हुए अयोध्या से पधारे संत सियाराम दास जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि तुलसी कृत रामचरित मानस भगवान शिव द्वारा माता पार्वती हेतु प्रस्तुत अमर कथा की भाषात्मक व भावात्मक प्रस्तुति है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में धर्म को आडम्बर से आच्छादित कर उसके मूल स्वरूप को गौण करने की परंपरा सी चल पड़ी है। जबकि धर्म का मर्म आत्मा से प्रस्फुटित होता है। प्रवचन के दौरान यज्ञ के संयोजक संत कन्हैया दास जी महाराज सुरेन्द्र सिंह नंदकिशोर सिंह ईश्वर उपाध्याय आदित्य सिंह समेत अनेक गणमान्य व सैकड़ों महिला व पुरुष स्रोता गण आदि मौजूद थे।