दरौली में हर्षोल्लास के साथ छठ सम्पन्न
दरौली (बिहार) संवाददाता श्रीकांत सिंह: सिवान जिले के दरौली प्रखंड के कृष्णपाली ग्राम में लोक आस्था का महापर्व छठ कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के छठे दिन पूजा हुई। यह पर्व काफी धूमधाम, भक्ति, श्रद्धा और पवित्रता के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सूर्य देव की पूजा अर्चना की गयी।अर्घ्य डाला गया- जिसमें पहला अर्घ्य सूर्यास्त एवं दूसरा अर्घ्य सूर्योदय के समय दिया गया। इस पावन पर्व की तैयारी दो-तीन दिन पूर्व से ही शुरू हो गयी। लोग तालाब में घाट बनाने सफाई करने में लग गए। छठ से एक दिन पूर्व 'खरना' हुआ जो छठ व्रत का आरंभ है, व्रतधारी लगभग 36 घंटे तक निर्जल उपवास रखकर सूर्यास्त और अगले दिन सूर्योदय के समय तालाब या नदी में खड़े होकर सूर्य को कलसूप (सुपली) में नारियल, सुथनी, अदरक, सिंघाड़ा, शरीफा, केला, नारंगी, अन्नानास, ईख, घी में बना ठेकुआ, आदि से अर्घ्य दिया। घाट पर प्रसाद को मांगने में काफी प्रतिष्ठित लोग भी संकोच नहीं किए। इस दिन नदी या तालाब का दृश्य बड़ा ही मनोरम रहा । छठ घाट पर श्रद्धालु ,भक्तों, सूर्य उपासकों की भक्ति पूर्ण वातावरण में पारंपरिक गीतों को गाते हुए,रंग-बिरंगे परिधान से सुसज्जित उपस्थिति से कार्तिक मास के छठ का महात्यम देखते ही बना। वही गांव के स्वयंसेवकों द्वारा छठ घाट पर व्रतियों के लिए प्रकाश प्रबंधन कर, झालर लगाकर, मैट बिछाकर एवं शामियाना लगाकर सुबह चाय पिलाकर छठ घाट पर पहुंचने वालों का भव्य स्वागत किया गया।बाहर से छठ मनाने के लिए गांव में आए लोगों का कहना था कि अब यह बिहारी पहचान बन चुका है। हमारी पहचान अगर कहीं सुरक्षित है तो हमारे इस लोक पर्व में समाहित लोक जीवन में है। लोक का अभिप्राय हमारी सामुदायिक चेतना से है। यह हमारे आदि काल से चली आ रही जीवन शैली को सुरक्षित रखती है। यह हमें विरासत में मिली धरोहर है, थाती है। इनसे हमें जीवन में जो शक्ति मिलती है वह उम्र भर हमारे काम आती है।