सुख-समृद्धि और मनवांछित फल के लिए करें छठ व्रत : प्रिया पांडेय 'रौशनी'
छठ पर्व क्यो,कैसे,और कब से?
दीवाली के छः दिन बाद मनाया जाने वाला यह छठ पूजा उत्तरप्रदेश और बिहार के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, ये दोनो राज्य भारत के उत्तर-पूर्व भाग में स्थित हैं। यूपी और बिहार के अलावा छठ पुजा को दूसरे देश नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके साथ ही झारखंड में भी इस पर्व को मनाने वालों की संख्या कम नहीं है। यही नहीं, चुकी विदेशों में भी अब अन्य लोग इसमें आस्था दिखाने लगे है जिस से वहां बसे हुए उत्तरप्रदेश और बिहार के लोग इस त्योहार को धूम धाम और पूरी आस्था के साथ मनाते है।
इस त्योहार में भगवान सूर्य, छठ माई और गंगा जी की आराधना की जाती है। हिंदुओं के अलावा इस्लाम एवम कुछ अन्य धर्म के लोग भी इस त्योहार को पूरी आस्था के साथ मनाते है। इस पर्व से जुड़ी कई पौराणिक और लोक कथाएं भी प्रचलित रही है।
महाभारत से हुई है छठ की शुरुआत
ऐसा माना जाता है कि सूर्य पुत्र कर्ण घंटो पानी में खड़े हो कर सूर्य को अर्ध देते थे। कुछ लोगो का कहना है कि द्रौपदी भी अपने प्रिय जनों की लंबी उम्र के लिए नियमित सूर्य की आराधना करती थी। ऐसी भी मान्यता है कि लंका से विजय प्राप्त के बाद भगवान राम और सीता ने रामराज्य की स्थापना के लिए कार्तिक माह में शुल्क पक्ष की षष्ठी को ही सूर्य की पूजा की थी। पुराणों के अनुसार राजा प्रियवद ने पुत्र प्राप्ति के लिए इस छठ व्रत को किया था।
क्या करना चाहिए छठ में?
1.यह महापर्व चार दिनों तक चलता है।
2.किसी कंबल के बिना फर्श पर सोना चाहिए।
3.पहले दिन गंगा जी में स्नान करना चाहिए।
4.प्रसाद तैयार करने के लिए कुछ गंगा जल घर ले आते है।
5.उस दिन कद्दू और भात के नाम से एक भोजन करना चाहिए।
6. यह मिट्टी के चूल्हे पर कांस्य या मिट्टी के बर्तन में आम की लकड़ी का उपयोग करके पकाया जाना चाहिए।
7.दूसरे दिन पूरे दिन के लिए उपवास रखा जाता है और सूर्यास्त के बाद उसी मिट्टी के चूल्हे पर रोटी और गुड़ से बने खीर से अपना उपवास तोड़ना चाहिए।
8.उसके बाद अगले दिन ३६ घंटे के लिए फिर से उपवास करते है।
9.तीसरे दिन नदी या किसी जल स्रोत के किनारे सूर्य को अर्ध्य प्रदान करते है।
10.चौथे दिन सूर्योदय के समय सूर्य की पहली किरण को अर्घ्य दे कर अपना व्रत संपूर्ण करते है।
छठ्ठ माता परिवार और संतान के लिए समृद्धि प्रदान करती है। वह हमारी सभी इच्छाओं को पूर्ण करती है। अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है। हर वर्ष लोग इस त्योहार को बहुत ही निष्ठा और ईमानदारी से मनाते हैं। छठ मईया हम सब के जीवन को खुशियों से भर देती है। यह त्योहार हमारे मन के आस्था से जुड़ा है, जो हम सभी को बहुत पसंद है।
■ प्रिया पांडेय 'रौशनी'
संपादिका जगत दर्शन न्यूज़