बिहार के है आलोक, हिंदी के ख्याति प्राप्त कवियों में से एक है
पुस्तकों के श्रेणी में उनकी पहली पुस्तक 'पहला पन्ना' प्रकाशित
कैमूर(बिहार): अपने कविताओं से समाज एवम क्षेत्र का आवाज बन रहें आलोक रंजन की पहली पुस्तक 'पहला पन्ना' प्रकाशित हो चुकी है। यह उनके कविताओं का संग्रह है। इस पुस्तक में उन सभी कविताओं को समावेशित किया गया है जिनके वजह से आलोक रंजन सुर्खियों में रहें है। अमर उजाला में प्रकाशित 'हिन्दुस्तान कहता है' तथा चाणक्य वार्ता व सुरभि पत्रिका में प्रकाशित 'दिल की आवाज़' जैसे कई सारगर्भित एवम सुन्दर कविताओं का संकलन है इस पुस्तक का पहला पन्ना।
सबसे मुख्य बात यह है कि इस पुस्तक को कई बड़े बड़े साहित्यकारों का भी आशीर्वाद मिल चुका है। जैसे कि साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे गए बाल साहित्यकार दिविक रमेश जी बताते हैं कि 'मुझे जो बात आपकी कविताओं में महत्वपूर्ण और अच्छी लगी है वह है कि आपकी कविताएँ तमाम अवांछित और प्रतिकूल हालात के प्रति सजग करते हुए उम्मीद और उमंग की राह अपनाती है। आपके पास एक सही दृष्टि है। आपके पास अच्छा-खासा अभिव्यक्ति और कौशल भी है। बधाई और शुभकामनाएँ।'
पहला पन्ना किताब उड़िसा की राजधानी भुनेश्वर के पिसफूल लेखक इंटरनेशनल प्रकाशन से प्रकाशित हुई हैं, जिसके संस्थापक नाज नईम, श्रेया गुप्ता तथा अर्चिश्मान सत्पथी जी हैं। इन लोगों ने ही प्रकाशन में काफी सहयोग किया है। वैसे तो आलोक हजार से अधिक अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय अखबारों और पत्रिकाओं के लिए कविताएं लिख चुके हैं परंतु आश्चर्य की बात यह रही ही कि वे सैकड़ों अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में शिरकत भी कर चुके हैं।
आलोक रंजन का परिचय
आलोक रंजन का जन्म बिहार के कैमूर जिले में हुआ है। उनकी स्कूली शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, कैमूर से हुई है। इनके पिताजी का नाम राजवंश राम है और माताजी का नाम संगीता देवी है, पेशे से माता-पिता दोनों शिक्षक है। आलोक को बचपन से ही साहित्य से काफी प्रेम व लगाव रहा है। आलोक फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग से अपनी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। आज वे पढ़ाई के साथ साथ साहित्य जगत में भी अपना नाम बनाते रहे हैं। इनके रचनाओं ने कई बड़े विद्वानों के सामने प्रौढ़ का प्रश्न लाकर खड़ा कर दिया है। वजह, इतनी कम उम्र में समाज और लोगों के विचारों को पन्नों पर उकेरना बहुत ही कठिन कार्य होता है।
आलोक जी ने जगत दर्शन न्यूज़ को बताया कि 'मैं जो भी लिखता हूं, अपने विचार और साथ ही साथ समाज में पल रहे समस्या, को लिखता हूँ। समाज का दुःख-सुख चाहे जो भी हो, सबको साथ लेकर चलता हूं। लोगों का आवाज बनता हूं ताकि सबको मजबूती मिल सके। अपने लेखन के माध्यम से मैं अपने संस्कृति, भाषा व आपसी प्रेम, भाईचारा को बढ़ावा देता हूं। पहला पन्ना, एक पहला पन्ना नहीं बल्कि एक किताब है, जिसमे सिर्फ मेरा या आपका नहीं, बल्कि हम सबका यथार्थ और ख्वाब है। यह किताब सिर्फ और सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि संस्कृति, भाषा, प्रेम, समाज, लोग, विचार, देश और समस्या का एक बेजोड़ आवाज है। यह एक ऐसी भावना है जो मिट्टी के असली महक को नकली लोग के सामने लाकर उन्हें आकर्षित करनी है। यह एक अमिट सोच का संग्रह है जिस पर सभी युवा टिके हुए है। इस संग्रह में उस गली की चीख और आहें भी सुनाई देगी जो आज भी अनजान हैं,भयभीत है। उन अरबों जनता की आवाज है। यह एक ऐसी है किताब जो जिनकी आवाज़ बनने में आम आदमी डरता है।'
आलोक जी के अनुसार साहित्य ऐसा जादू है, जिसे पढ़कर आम आदमी अपने आप को साहित्य के किसी विधा में किसी न किसी रूप में समाहित कर ही लेता है। इस संकलन के माध्यम से आलोक रंजन द्वारा रचित सभी श्रेष्ठ रचनाओं को शामिल किया गया है। किताब में कई तरह के दृश्य मिलेंगे, प्रगतिशील, मानवतावादी, देशप्रेम और प्रेरक दृष्टि से पूर्ण कविताएं मिलेंगी, जो मानव और युवाओं को विकसित होने के लिए मजबूर कर देगी।