कितनी फिक्र है प्रतिनिधियों को बच्चों के स्कूल जाने की जब फिक्र तक नही!
मांझी(संवाददाता वीरेश सिंह): बिहार सरकार जहां अपने शिक्षा व्यवस्था में सुधार का राग अलापती नजर आती है वही धरातल पर कुछ और ही नजर आता है। यही कारण है कि जनता हमेशा बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल करती नजर आती है। फिलहाल इस वर्ष के कोरोना की मार तो पूरा विश्व झेला है बिहार को इस से अधिक बरसात को तो अभी तक झेलना पर रहा है। वर्षा जल ने बिहार तथा विकास फंड की अव्यवस्था की पोल खोलती नजर आती है।
छपरा जिले मांझी प्रखंड के इनायतपुर पंचायत के बारवा नाथा सिंह के टोला प्राथमिक स्कूल का हाल बिल्कुल बदहाल है। विद्यालय तो है पर जाने का नही। छात्र और छात्रा जाएं तो जाएं कैसे? जब सड़क भी टूटी और जल जमाव से किस्मत है फूटी। स्कूल खुलने के बावजूद भी बच्चे वंचित है पढ़ने जाने से। सड़क की दशा ऐसी बनी हुई है कि छात्र एवं छात्राओं को सड़क पर आने जाने में काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है ।इसी क्षेत्र के नीरज सिंह ने हमारे संवाददाताओं को इसके बारे में जानकारी दिया कि आजादी के बाद कोई भी विकास का कार्य किसी भी जन प्रतिनिधी द्वारा नहीं कराया गया है। विकास कितना हुआ है सड़क को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है। सिन्टु सिंह ने भी कहा कि निवर्तमान मुखिया या विधायक, इन्हें इन सब कोई मतलब नही रह गया है। इन लोगो से कहने के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं कराया गया है। इस बात साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीणों में काफ़ी आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि छात्र एवं छात्राओं के साथ यदि कोई अप्रिय घटना हुआ तो इसकी जिम्मेवारी सरकार को होगी।
उक्त मौके पर दर्जनों ग्रामीण उपस्थित थे।