जगत दर्शन न्यूज़ तथा भोजपुरी रोजाना के संयुक्त तत्वाधान में 14 सितम्बर 2021 को हिंदी दिवस पर आयोजित काव्य गोष्ठी में चयनित सर्वश्रेष्ठ रचना
'हम जीवन की छोटी-छोटी मुश्किलों से हार मान जाते हैं , यह जानते हुए कि बिना संघर्षों की कोई सफल नहीं होता है । चाहे वह कोई व्यक्ति हो , कोई देश हो, या कोई भाषा ही क्यों ना हो ।
हमारी हिंदी भी एक लंबे संघर्षों से गुजरी है और मैंने हिंदी के इसी संघर्ष को आपके सामने लाने की एक छोटी सी कोशिश की है।' ज्योति कुमारी
'मैं हिंदी हूं'
मै हिंदी हूं
और यह मेरे संघर्षों की कहानी है ।
मेरा इतिहास 1000 साल पुराना है ।
मुझे देवभाषा कहे जाने वाले संस्कृत की उत्तराधिकारीणि होने का गौरव प्राप्त है ।
और भारत जैसे देश की सबसे लोकप्रिय भाषा होने का सम्मान भी ।
मैं हिंदी हूं
और यह मेरे संघर्षों की कहानी है ।
मैं आज जिस चमक, जिस गौरव के साथ
आपके सामने हूं, मैं हमेशा से ऐसी नहीं थी ।
मैं संघर्षों की प्रचंड अग्नि में तपी हूं ।
मेरे पैरों में छाले पड़े हैं ।
और विदेशियों के हाथों कोई कर नालंदा बन कर जली हूं।
इसके बावजूद भी कभी रूकि नहीं।
कभी चली तो, कभी दौड़ी हूं ।
मैं हिंदी हूं
और यह मेरे संघर्षों की कहानी है ।
मैंने भी शून्य से सीखर तक का सफर तय किया है।
संस्कृत से शुरू होकर पाली , प्रकृति , अभ्रशं , अवधि, ब्रज आदी कई रूपो में निखरी हूं। मैं हिंदी हूं
और वासुदेव कुटुंबकम की एक सही उदाहरण भी हूं।
मैंने दुनिया के सभी भाषाओं को अपना परिवार माना है।
और इसीलिए फारसी, असामी, पंजाबी, मराठी, उर्दू , बंगाली जैसे कई और भाषाएं मुझ में समाहित है ।
मैं हिंदी हूं
और यह मेरे संघर्षों की कहानी है ।
मैं भावनाओं कि अथाह सागर हूं।
और विद्रोह की हुंकार भी हूं।
मै दीन दुखियों की पीड़ा लिए प्रेमचंद की कलम से बह गई तो दिनकर की कलम से जनमानस की क्रोध बनकर फूट पड़ी।
और तुलसीदास, सूरदास , महादेवी वर्मा , कबीर जैसे कई रचनाकारों और महाकवियों ने मुझे समय के साथ और भी अधिक प्रासंगिक बना दिया।
मैं हिंदी हूं
और यह मेरे संघर्ष की कहानी है ।
मैं 1000 साल में निरंतर बढ़ती रही ।
कभी दौड़ी दौड़ी।, कभी चली तो कभी घुटनों के बल रेंगी लेकिन रुकी कभी नहीं।
अपनी इसी निरंतरता के कारण आज मैं विश्व के लगभग 130 विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती हूं....
और इतना ही नहीं विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा के रूप में जानी जाती ही नहीं
मैं हिंदी हूं
और ये मेरे संघर्ष की कहानी है ।
लेकिन मेरा सफर आज भी जारी है....
और रहती दुनिया तक जारी रहेगा ।
मैं हिंदी हूं
और यह मेरे संघर्षों की कहानी है। मैं हिंदी हूं और यह मेरे संघर्ष की कहानी है।
रचना: ज्योति कुमारी
फुलवरिया (सारण)
बीकेबी हाईटेक स्कूल ताजपुर