दिव्यांग
/// जगत दर्शन न्यूज
चुप रह कर भी नैनों से वो
बात अपनी कह जाते हैं..
जिन्हें समझते तुम दिव्यांग,
वही जीने की राह दिखाते हैं।
आती जब है रुहें पाक
हमें कुछ समझाने को..
खुलते सब दरवाज़े बंद
अनकहे राज़ बतलाने को..
भीगे तन मन बस्ती में
झूमे धरती मस्ती में..
पतवार चलती खुद,
दिव्य पाल की कश्ती में।
मिले सौगात जब कर्मों की
कटे डोर दुष्कर्मों की, मिले..
ईश्वर की जब यह अनमोल कृति
तब जीवन आशीर्वाद बन जाते हैं।।
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