आ गया मै अंधेरा को हराने!
एक पोते इवान के लिए नानी (किरण बरेली) के द्वारा लिखा गया अनोखा, प्रेरक और हौसला वर्धक रचना!
/// जगत दर्शन न्यूज
✍️ किरण बरेली
अंधेरों को हराना आ गया है।।
मैं नन्हा-सा राही अकेला
इस निर्जन पथ का
नटखट खिलौनों से तोड़ नाता
चला आया वीराने में।
आंखों में जाग रहें हैं
जाने/पहचाने कुछ ख्वाब
हो कर मौन बुन रहा
नये/नये करतबों का जाल
शहर के भीड़/शोर से दूर
मन के एकान्त में सुन रहा हूं
जुबां मेरी। ख़ामोशी ओढ़े
मां के उपदेशों पर मनन कर रहा हूं
मिली। कामयाबी की कड़ियों को
गिन/गिन कर
मन की तहो में सहेज रहा हूं
मां ने मेरा सीना पत्थर सा बनाया है
वतन की वफादारी का पाठ भी पढ़ाया है
कच्ची उम्र में सयानापन भी आ गया है
दूर से आ रही रौशनी में
जीवन के अंधेरों को हराना आ गया है।।

