एक ही कोख - दो फर्क क्यों?
/// जगत दर्शन न्यूज
एक पुरुष का स्पर्म मैं भी हूँ,
एक पुरुष का स्पर्म तू भी है।
माँ की कोख से तू भी जन्मा है,
माँ की कोख से मै भी जन्मी हूँ ।
9 महिने माँ तक माँ की कोख में तू भी था,
9 महिने तक माँ की कोख में मैं भी थी।
जितने दिन में तूने धड़कना शुरू किया,
उतने ही दिन में मैंने भी धड़कना शुरू किया।
जितने महीने में तूने लात मारना शुरू किया,
उतने महीने में मैंने भी लात मारना शुरू किया।
माँ तेरे एहसास से जितना खुश होती थी,
उतना ही मेरे भी एहसास से खुश होती थी।
पेट के अंदर तू भी बच्चा
कहलाता था,
पेट के अंदर मै भी बच्चा कहलाती थी।
कोख से बाहर आने पर,
तू जितनी जोर से चिल्लाया,
उतनी ही जोर से मैं भी चिल्लाई।
बस फर्क इतना था,
तू बच्चा कहलाया,
और मैं बच्ची कहलायी।।
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