रूत सावन की
सावन की रिमझिम फुहारों में
सपनों के संग
बिखरने दो मुझे।।
इस सावन रुत की फिज़ाओं में
खुशगवार मौसम को बांध पांव में
आज थिरकने दो मुझे।।
अब ना बांधों मुझे
कल मनभावन सावन रहे न रहे
बारिश रंग में रंग जाने दो मुझे।।
जाग चुके हैं प्रीत/प्यार के अहसास
टहनियों पर ठहरी शबनमी बूंदों को
अधरों का चुम्बन बनाने दो मुझे।।