सबसे पहले राष्ट्र धर्म
भड़की है नफरत की ज्वाला, पहले उसे संभालो
मरी आत्मा आज जगा, ओ देश जगाने वालों।।
महंगाई है बढ़ी चरम पर, रोजगार हैं ध्वस्त
राजनीति की भाषा सुनके, लोग हुए हैं त्रस्त।।
देश की ढाँचा उजड़ रही है, बिगड़ रही है बात।
अंधे बहरे शासक को, नहीं दीखते हैं हालात।।
जीना भी दुस्वार हुआ, दुस्वार हुई है रोटी।।
अब मानवता की बातें, लगती है सबको खोटी।।
लाठी-डंडे पड़ते उनपर, मांगे जो रोजगार।
सभी ओर हैं गर्म यहाँ पर, चोरी कै बाजार।।
ऐसे में हम किसे पुकारें, किससे करें गुहार।
सत्ता के मद में है राजा, सुने न चीख-पुकार।।
आग पेट की बड़ी बुरी है, क्रांति है भड़काती।।
कब तक जले तेल बिन दीपक, राग विभत्स सुनाती।।
अंधे राह दिखायें, अज्ञानी बाँटे हैं ज्ञान।
क्रियाहीन सब कर्म बुझाये, कैसे हैं नादान।।
जगत गुरु की ख्याति वाला देश बना है ऐसे।।
सजी धजी इक नाव की हालत, बिन पतवार के जैसे।।
नाविक मौज मनाता उसको नहीं दिशा का ज्ञान।
ऐसे में हम सबकी यारों, खैर करे भगवान।।
जब ज्ञानी का मोल घटे, तब ज्ञान कहाँ से पायेंगे
आँख खुलेगी एक दिन सबकी, कब-तक यूं भरमायेंगे।।
छोड़ो जाति पंथ के झगड़े, भारत हीत में काम करो।
अपनी कुर्बानी देकर, भारत माता का नाम करो।।
कहे बिजेन्द्र ऐसे हालत में, पहले खुद को तोलो।
सबसे पहले राष्ट्र धर्म है, जय भारत की बोलो।।
बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेंदर बाबू)
गैरतपुर, मांझी
सारण, बिहार
मोबाइल नंबर:- 7250299200