🌧️ सावन 🌧️
सावन बहार है, अपना खोया बचपन है, सोचो तो स्वर्ग है! प्रख्यात कवयित्री किरण बरेली की एक सारगर्भित रचना!
मौसम बहारों का आया है
गुजरते जमाने के पल/पल
बरसते सावन ने
खूब याद दिलाया है।
कड़वे नीम की शाखाओं पर
मीठे रिश्तों में बंधा झूला
बचपन को खूब झुलाया है।
मौसम बहारों का आया है।
अंगनाई में बारिश का दरिया
छम/छम करते नन्हे पांवों को
अल्हड़ मन ने नाच नचाया है।
बहारों का मौसम आया है।।
फिर यौवन की सीढ़ी पर बैठे
चंचल चपल सी पलकों पर
रिमझिम बूंदों में रेशमी ख्वाब सजाया है।
बहारों का मौसम आया है।।
✍️किरण बरेली