सूबे के स्वास्थ्य मंत्री के पैतृक गांव स्थित अस्पताल में पहली बार कराया गया संस्थागत प्रसव!
विभागीय अधिकारियों के दिशा निर्देश और मार्गदर्शन में हर तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध: एमओआईसी
मां और नवजात शिशु की सुरक्षा सुनिश्चित करना ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव कराए जाने का मुख्य उद्देश्य: डॉ अमित चंद्र मिश्रा
सिवान (बिहार): सूबे के स्वास्थ्य सह विधि विभाग के मंत्री मंगल पाण्डेय के पैतृक गांव स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (एपीएचसी) में पहली बार दो गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव कराया गया है। जिस कारण स्वास्थ्य केंद्र सहित गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है। क्योंकि पहले अनुमंडलीय अस्पताल महाराजगंज या सदर अस्पताल सिवान जाना पड़ता था। लेकिन अब गांव के अस्पताल में प्रसव शुरू हो गया है। हालांकि पहले से ही हर तरह की बीमारियों का इलाज की सुविधा मिलती थी। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि सदर अस्पताल के अलावा अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुरक्षित तरीके से संस्थागत प्रसव कराया जाता है। लेकिन इसके बाद ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद होने के कारण प्रसव कराने के लिए विभागीय स्तर पर लगातार दिशा निर्देश और मार्गदर्शन मिलते रहता था। जिस कारण विभागीय स्तर पर हर तरह की सुख सुविधाओं और विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलावा प्रशिक्षित नर्स की प्रतिनियुक्ति कर प्रसव कराने की शुरुआत कराई गई है।
महाराजगंज अनुमंडलीय मुख्यालय स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बिपिन बिहारी सिन्हा ने बताया कि विभागीय अधिकारियों सहित जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय के दिशा- निर्देश में स्थानीय लोगों को हर तरह की सुख सुविधाएं प्रदान कर बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है। हालांकि समय रहते किसी भी प्रकार की बीमारी का सही तरीके से उचित सलाह और उपचार किया जाए तो गंभीर रूप होने से बचा जा सकता है। वहीं आर्थिक, मानसिक और शारीरिक रूप से आम नागरिकों को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर संभव प्रयास करता है। विभागीय स्तर के अधिकारियों का कहना रहता था कि बलिया गांव स्थित एपीएचसी में संस्थागत प्रसव कराया जाए। क्योंकि सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से गर्भवती महिलाओं या अभिभावकों को महाराजगंज या सदर अस्पताल जाकर इलाज कराने में थोड़ी सी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बलिया के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अमित चंद्र मिश्रा ने बताया कि बलिया गांव निवासी गुड्डू प्रसाद की 21 वर्षीया पत्नी रंभा कुमारी का सुरक्षित प्रसव कराया गया है। जबकि इसी गांव के रंजीत मांझी की 31 वर्षीया पत्नी रीना कुमारी का भी संस्थागत प्रसव कराया गया है। हालांकि प्रसव से पूर्व सभी तरह की जांच करायी गयी थी। ताकि प्रसव के समय किसी तरह की कोई अनहोनी नहीं हो। इसके लिए स्थानीय स्तर पर सभी तरह की जांच कराई गई थी। उसके बाद चिकित्सा पदाधिकारी के नेतृत्व में प्रशिक्षित नर्स के द्वारा प्रसव कराया गया है। लेकिन संस्थागत और सुरक्षित रूप से प्रसव कराने में चार बार प्रसव पूर्व जांच यानि (एएनसी) आशा कार्यकर्ता और एएनएम के द्वारा कराया गया था। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव के लिए स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ कराना आवश्यक है, ताकि गर्भवती महिलाओं को समय पर चिकित्सकीय सहायता मिल सके। इससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आती है। प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी या दाई की मौजूदगी में सुरक्षित प्रसव कराया जा सके, इसके लिए जन-जागरूकता, सुविधाओं की उपलब्धता और सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार बेहद जरूरी है। ग्रामीण महिलाओं को प्रसव से पूर्व और बाद में देखभाल करना भी सुरक्षित मातृत्व की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।