अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पर आरजेएस और हिंदी महिला समिति का भव्य आयोजन, नृत्य को बताया गया "जीवन का तरीका"
नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस के अवसर पर राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (RJS PBH) द्वारा 349वां कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में नागपुर की प्रतिष्ठित हिंदी महिला समिति का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का सफल संयोजन संस्था की अध्यक्षा श्रीमती रति चौबे एवं आरजेएस संस्थापक श्री उदय कुमार मन्ना द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में आधुनिक बैले के जनक जीन-जॉर्जेस नोवरे को श्रद्धांजलि दी गई। मन्ना ने नृत्य के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं को भारतीय शास्त्रीय संदर्भों से जोड़ते हुए कहा, “यतो हस्तः ततो दृष्टिः...” जैसे श्लोक नृत्य को एक सम्पूर्ण जीवन दर्शन बनाते हैं।
इस अवसर पर पद्मश्री से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय कथक नृत्यांगनाएं डॉ. कमलिनी और नलिनी अस्थाना ने नृत्य को “वाणी से आगे की भाषा” बताया और कहा, “कला में कोई विनाश नहीं, केवल सृजन ही सृजन है।”
मुख्य वक्ता डॉ. संजीवनी चौधरी ने अपने संदेश में बताया कि उनके अस्तित्व के हर रेशे में नृत्य बसता है। उनकी अर्धनारीश्वर प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम में 20 से अधिक विविध नृत्य प्रस्तुतियां हुईं, जिनमें याना सुरेश का भरतनाट्यम, कल्याणी का ओडिशी, किरन हटवार का बिहू, झूमा जाधव का बंगाली धुनुची, आस्था रमेश नायक का गुजराती गरबा, ममता शर्मा का राजस्थानी मरुरंग, और अरशद खान की ऊर्जावान लावणी प्रस्तुति प्रमुख रहीं। ब्रज क्षेत्र का चरकुला नृत्य, बिहार का मधीहि नृत्य और समापन बैले में जीन जॉर्जेस नोवरे को समर्पित प्रस्तुति ने दर्शकों पर गहरा प्रभाव छोड़ा।
ICCR के वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक सुनील कुमार सिंह ने बताया कि कैसे नृत्य को सांस्कृतिक कूटनीति और वैश्विक शांति के माध्यम के रूप में उपयोग किया जा रहा है।
कार्यक्रम का समापन हिंदी महिला समिति की जनसंपर्क अधिकारी डॉ. कविता परिहार और मंगला गजानन भुसारी के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। उन्होंने सकारात्मक मीडिया मंच से जुड़ने पर गौरव व्यक्त किया और कहा कि आज के समय में सकारात्मकता का प्रसार अत्यंत आवश्यक है।
यह आयोजन न केवल एक कला प्रस्तुति रहा, बल्कि नृत्य के भीतर छिपे जीवन दर्शन, एकता और सांस्कृतिक समरसता का जीवंत उत्सव भी बना।