पोषण पखवाड़ा के तहत नवजात शिशुओं के घर पहुंच रही आशा कार्यकर्ता, माताओं को किया जा रहा जागरूक!
- नवजात शिशु देखभाल, स्तनपान और पोषण पर दिया जा रहा विशेष जोर
सारण (बिहार): सारण जिले में 8 से 23 अप्रैल तक स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस (एकीकृत बाल विकास सेवा) के संयुक्त तत्वावधान में पोषण पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है। इस पखवाड़े का उद्देश्य मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में सुधार, कुपोषण की रोकथाम और समुदाय में पोषण के प्रति जागरूकता फैलाना है।
नवजात शिशुओं के लिए विशेष अभियान
पोषण पखवाड़े के दौरान गृह आधारित नवजात शिशु देखभाल कार्यक्रम (HBYC) को प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है। इसके तहत आशा कार्यकर्ता प्रत्येक नवजात शिशु के जन्म के बाद 42 दिनों के भीतर कम से कम 6 से 7 बार गृह भ्रमण करती हैं। इस दौरान वे धात्री माताओं को पोषण, स्वच्छता और छह माह तक केवल स्तनपान कराने को लेकर परामर्श देती हैं।
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक सुहर्ष भगत ने इस संबंध में सभी जिलों को दिशा-निर्देश जारी कर कार्यक्रम की निगरानी और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा है।
बाल्यकालीन बीमारियों से बचाव की जानकारी
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि आशा कार्यकर्ता शिशु के जन्म के बाद 3, 6, 9, 12 और 15वें माह में घर जाकर शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास की जानकारी देती हैं। उन्हें निमोनिया, डायरिया और कुपोषण जैसे सामान्य बाल्यकालीन रोगों से बचाव एवं उपचार के उपायों की जानकारी दी जाती है। इसके साथ ही वे आयरन-फोलिक एसिड सिरप, समुर्द्धीकृत आहार और स्वच्छता व्यवहारों के महत्व पर भी प्रकाश डालती हैं।
माँ कार्यक्रम के माध्यम से समुदाय में स्तनपान को बढ़ावा
जिला स्वास्थ्य समिति के कार्यक्रम प्रबंधक अरविंद कुमार ने बताया कि "माँ" कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं से संवाद कर शीघ्र स्तनपान शुरू करने, छह माह तक केवल स्तनपान कराने और दो वर्ष तक स्तनपान जारी रखने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इसके अलावा जिले में माता सम्मेलन आयोजित कर स्वास्थ्य संस्थानों में स्तनपान से जुड़े परामर्श दिए जा रहे हैं।
जीवन के पहले 1000 दिनों में पोषण का विशेष ध्यान
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि गर्भावस्था के पहले दिन से लेकर शिशु के दो वर्ष की आयु तक यानी जीवन के पहले 1000 दिनों में पोषण सबसे महत्वपूर्ण होता है। इसके लिए जिला स्तर पर गर्भवती महिलाओं का समय पर पंजीकरण, प्रसव पूर्व जांच, हिमोग्लोबिन और पोषण स्तर की जांच जैसे उपाय सुनिश्चित किए जा रहे हैं। साथ ही आयरन और कैल्शियम की समपूरक खुराक देना भी अनिवार्य किया गया है।
समुदाय आधारित कार्यक्रमों में लोगों की बढ़ रही भागीदारी
पोषण पखवाड़े के तहत ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) के माध्यम से भी जागरूकता फैलाई जा रही है। आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी सेविकाएं मिलकर इस जनजागरूकता अभियान को सफल बनाने में जुटी हैं।
पोषण पखवाड़ा का उद्देश्य मात्र कार्यक्रम चलाना नहीं, बल्कि समुदाय में स्थायी स्वास्थ्य व्यवहारों को विकसित करना है, जिससे आने वाली पीढ़ी कुपोषण मुक्त और स्वस्थ बन सके।