खंजर चाकू तीर.......
खंजर, चाकू, तीर से, बने तेज तलवार।
गहरा देता घाव मैं, कर लो तनिक विचार।।
शब्द खड़ा मुस्का रहा, सदा बाँटता पीर।
मैं उर को घायल करूँ, तू सब करे शरीर।।
तेरे मारे घाव के, मरहम बने हजार।
जिसको मारूँ मैं सुनो, वो होता बेकार।।
बने शब्द से भाव कहीं, बने शब्द से घाव।
शब्द दुरावत है कहीं, शब्द हीं करे लगाव।।
शब्द सुनो संसार के, बने तेज हथियार।
इसके आगे फेल है, खंजर, तीर, तलवार।।
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
7250299200