सारण जिले की स्थापना तिथि का नहीं मिल रहा प्रमाण, समिति गठित कर तिथि निर्धारण का प्रयास!
सारण (बिहार): सारण जिले की स्थापना कब हुई, यह अब भी एक रहस्य बना हुआ है। न तो राज्य सरकार के गजट में इसका स्पष्ट उल्लेख है, न ही इतिहास की पुस्तकों में इसकी तिथि दर्ज है। जिलाधिकारी अमन समीर ने सारण का स्थापना दिवस मनाने की पहल करते हुए इसकी तिथि का पता लगाने की दिशा में गंभीर प्रयास शुरू कर दिए हैं।
जिलाधिकारी के अनुसार, सारण में योगदान देने के बाद से ही वे स्थापना तिथि को जानने के प्रयास में लगे रहे, लेकिन अब तक कोई तथ्यपरक जानकारी नहीं मिल सकी है। इसी क्रम में उन्होंने एक 10 सदस्यीय समिति का गठन किया है। गुरुवार को उनके कार्यालय में इस समिति की पहली बैठक हुई।
बैठक में सदस्यों से विभिन्न स्रोतों के माध्यम से स्थापना तिथि जानने का आग्रह किया गया, लेकिन कोई ठोस तिथि सामने नहीं आई। इसके बाद जिलाधिकारी ने उप विकास आयुक्त यतेंद्र कुमार पाल को इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने सामान्य शाखा के प्रभारी पदाधिकारी को भी आवश्यकतानुसार पटना स्थित पुस्तकालयों, अभिलेखागारों और अन्य ऐतिहासिक स्रोतों से जानकारी एकत्र करने हेतु निर्देशित किया है।
स्थापना तिथि नहीं मिलने पर ऐतिहासिक तिथि को चुना जाएगा
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि यदि जिले की वास्तविक स्थापना तिथि का पता नहीं चल पाता है, तो सारण से जुड़ी किसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना की तिथि को सर्वसम्मति से स्थापना दिवस के रूप में चयनित किया जाएगा। यह तिथि आगे चलकर हर वर्ष स्थापना दिवस समारोह के रूप में मनाई जाएगी।
समिति में ये सदस्य शामिल
स्थापना तिथि चयन हेतु बनी समिति में उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्ता सारण, नगर आयुक्त सारण, बंदोबस्त पदाधिकारी, प्रभारी पदाधिकारी सामान्य शाखा, स्थापना उपसमाहर्ता, पुलिस उपाधीक्षक (मुख्यालय), प्रो. एच. के. वर्मा, प्रो. सुधीर कुमार सिंह (इतिहास विभागाध्यक्ष, जयप्रकाश विश्वविद्यालय) और संजय कुमार को शामिल किया गया है।