हर साल 1.5 करोड़ नवजातों का होता है समय से पहले जन्म, गहन देखभाल की जरूरत!
• समुचित देखभाल के आभाव में नवजात को होता है जान का ख़तरा
• "स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य" है इस वर्ष के स्वास्थ्य दिवस का थीम
• स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में मिलती है आधुनिक स्वास्थ्य सेवाएं
सारण (बिहार): स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से प्रत्येक साल 7 अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे मनाया जाता है। इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम "स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य" है। यह विषय मुख्य रूप से मां और नवजात बच्चों की सेहत और सुरक्षा पर ध्यान देता है। इसका मकसद यह बताना है कि गर्भावस्था, बच्चे के जन्म और उसके बाद की देखभाल के दौरान अच्छी सेवाओं की कितनी जरूरत है।ताकि मां और नवजात शिशुओं की मौत के आंकड़ों को कम किया जा सके। गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले नवजात का जन्म प्रीटर्म बेबी की श्रेणी में आता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व भर में प्रतिवर्ष 1.5 करोड़ प्रीटर्म बेबी जन्म लेते हैं। जिसमें सर्वाधिक प्रीटर्म बेबी का जन्म भारत में ही होता है. विश्व भर में 10 नवजातों में 1 नवजात का जन्म गर्भावस्था के 37 सप्ताह पूर्व होता है। समय से पूर्व नवजात का जन्म उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालता है। इसलिए ऐसे नवजातों को गहन देखभाल की अधिक जरूरत होती है।
स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में मिलती है सुविधा:
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पूर्व जन्म लेने नवजात को अधिक खतरा होता है। ऐसे में उन्हें गहन देखभाल की जरूरत होती है। इसको लेकर राज्य के सभी जिला अस्पतालों में स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट( एसएनसीयू) बनाये गए हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपस्थिति के साथ वहाँ बेहतर सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है। उन्होंने बताया प्रीटर्म बेबी को तीन श्रेणियों में रखा गया है। पहली श्रेणी में ऐसे नवजात आते हैं जिनका जन्म 32 से 37 सप्ताह के बीच होता है। दूसरी श्रेणी में 28 से 32 सप्ताह के बीच एवं तीसरी श्रेणी में 28 सप्ताह से पूर्व जन्मे नवजातों को रखा जाता है। दूसरी एवं तीसरी श्रेणी के बच्चों को गहन देखभाल की जरूरत होती है। इसलिए जटिलता के आधार पर ऐसे नवजातों को चिकित्सकीय परामर्श पर एसएनसीयू रेफर किया जाता है।
प्रीटर्म बेबी में ये होते हैं लक्षण:
• अनियमित श्वसन
• अपरिपक्व फेफड़ा के कारण सांस लेने में तकलीफ़
• सामान्य बच्चे की तुलना में अधिक सुस्त
• अविकसित शरीर( शरीर में वसा की काफ़ी कमी)
• शरीर के तापमान को बनाए रखने में असमर्थता(हाइपोथर्मिया)
• जन्म के बाद स्तनपान करने के अक्षम
• त्वचा के अंदर के नसों का दिखना
नवजात में होने वाली समस्याएं:
प्रीटर्म बेबी को दो तरह की समस्याएं हो सकती है। पहली तुरंत होने वाली समस्या एवं दूसरी कुछ ऐसी समस्याएं जो लंबे समय के बाद होती है।
तुरंत होने वाली समस्याएँ :
• गंभीर श्वसन की समस्या
• शरीर के तापमान को बनाए रखने में असमर्थता(हाइपोथर्मिया
• मस्तिष्क में रक्त स्त्राव होना
• संक्रमण का बढ़ जाना
• पीलिया का होना
• समुचित देखभाल के आभाव में नवजात की मृत्यु
लंबे समय के बाद होने वाली समस्याएँ:
• शारीरिक एवं मानसिक विकास में देरी
• शारीरिक एवं मानसिक अपंगता
• आँख की रौशनी कम जाना या अंधा हो जाना
प्रीटर्म बेबी का रखें ऐसे ख्याल: कंगारू मदर केयर:
छपरा सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप यादव ने बताया कि प्रीटर्म बेबी को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। इसके लिए नवजात को कंगारू मदर केयर देने की सलाह दी जाती है, जिसमें माता, पिता या कोई अन्य घर के सदस्य नवजात को अपनी छाती पर चिपकाकर रखते हैं। इस प्रक्रिया से नवजात को शरीर की ऊष्मा प्राप्त होती है एवं नवजात स्वस्थ रहता है।
सामान्य से अधिक बार में करायें स्तनपान:
शिशु रोग विशेषज्ञ ने डॉ. संदीप यादव ने बताया कि सामान्यता शिशु को दिन भर में 8 से 10 बार स्तनपान कराने की जरूरत होती है। लेकिन प्री टर्म नवजातों को इससे अधिक बार स्तनपान कराना चाहिए। ऐसे नवजातों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। इसलिए नवजात को अधिक से अधिक बार स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। इससे नवजात को संक्रमण जैसे डायरिया एवं निमोनिया से बचाव होता है।
प्रीटर्म जन्म के संभावित कारण:
• माता में अत्यधिक खून की कमी
• गर्भावस्था के दौरान माता का मधुमेह से पीड़ित होना
• प्रसव पूर्व रक्त स्त्राव
• यौन संक्रमण एवं रोग
• माता को उच्च या निम्न रक्तचाप की समस्या