चमकी बुखार (एईएस/जेई) के कारण, लक्षण, बचाव और समुचित इलाज को लेकर दिया गया प्रशिक्षण!
गर्मी के दिनों में एईएस और जेई से संबंधित सभी तरह की जांच, उपचार, बचाव और सुरक्षित रहने के लिए हम सभी को सतर्क रहने की आवश्यकता: डॉ ओपी लाल
बच्चों को एईएस से बचाव के लिए माता- पिता सहित सभी अभिभावकों को शिशुओं के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहने की जरूरत: सिविल सर्जन
सिवान (बिहार): एईएस, जापानी इंसेफेलाइटिस, दिमागी बुखार और चमकी बुखार से संबंधित सभी तरह की जांच, उपचार, बचाव और सुरक्षित रहने के लिए हम सभी को सतर्क और जागरूक होने की आवश्यकता है। उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने सदर अस्पताल परिसर स्थित सभागार में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यशाला के दौरान कहा कि आने वाले दिनों में संभावित उक्त बीमारी से बचाव और उपचार सहित सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक दिशा- निर्देश दिया गया है। जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक (बीएचएम), प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक (बीसीएम) के अलावा सदर अस्पताल और अनुमंडलीय अस्पताल महाराजगंज के अस्पताल प्रबंधक सहित जिले के सभी रेफरल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) से एक - एक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) को जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण सलाहकार नीरज कुमार सिंह के द्वारा मस्तिष्क ज्वर से बचाव और सुरक्षित रहने के लिए प्रशिक्षित किया गया।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि चमकी बुखार से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक और जरूरी है। इसलिए प्रशिक्षण के दौरान संबंधित मरीजों की समुचित जांच और इलाज के साथ- साथ इस बीमारी से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की भी जानकारी दी गई। साथ ही जिलेवासियों से अपील करता हूं कि बच्चों को एईएस से बचाव के लिए माता- पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। साथ ही समय- समय पर उसका उचित देखभाल करते रहना चाहिए। हालांकि स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन अनिवार्य रूप से करवाना चाहिए। वहीं साफ- सफाई पर विशेष रूप से ध्यान देने की कोशिश करनी चाहिए। जिले की सभी धातृ माताओं से अपील है कि अपने छोटे - छोटे मासूम बच्चों को मां का दूध अनिवार्य रूप से पिलाना चाहिए। क्योंकि अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना अत्यधिक बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता सहित अन्य अभिभावकों को चमकी (मस्तिष्क) बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जांच और जांच के बाद आवश्यक इलाज अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थानों में कराना चाहिए।
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद, डीवीबीडीसीओ डॉ ओम प्रकाश लाल, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी (वीडीसीओ) प्रीति आनंद, विकास कुमार और कुंदन कुमार, पीरामल स्वास्थ्य के कार्यक्रम प्रमुख मिथिलेश कुमार पाण्डेय, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी और डीवीबीडीपी कार्यालय के डीईओ राज तिलक सहित जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों के बीएचएम, बीसीएम और एक - एक सीएचओ सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।
चमकी बुखार से बचाव:
गर्मी के दिनों में कभी भी खाली पेट नहीं रखे, बच्चों को बेवजह धूप में न निकलने दें, गंदगी से बचें, कच्चे आम, कीटनाशक युक्त फलों का सेवन न करें, ओआरएस का घोल, नींबू और चीनी का घोल लगातार पिलाए, बुखार होने की स्थिति में शरीर को ठंडे पानी से पोंछे और पैरासिटामॉल की गोली दें। जब इससे भी नियंत्रण नहीं हो तो नजदीकी अस्पताल के चिकित्सक से जरूर मिलें।
चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण व इससे बचाव के उपाय:
लगातार तेज बुखार रहना,
बदन में लगातार ऐंठन रहना,
दांत पर दांत दबाए रखना - सुस्ती चढ़ना,
कमजोरी और बुखार की वजह से बेहोशी आना,
चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि न होना