मालिक नहीं मेहमान, ना समझे नादान ...
मालिक नहीं मेहमान
ना समझे नादान ...
जिसके उर सत् ज्ञान
मानव वहीं महान...
सब उसके पहचान
सब उसके संतान...
मत करना अपमान
सब हैं देव समान.....
कुछ नहीं तेरा जान
तज मन तनिक गुमान....
सबको अपना मान
कर मंजिल का ज्ञान...
खुद को भी पहचान
बढ़े आत्म सम्मान...
करो सदा हरि ध्यान
हो तेरा कल्याण....
बनो नहीं अंजान
अपनी ग़लती मान....
राष्ट्र बड़ा है जान
हो उसपे कुर्बान....
सुनो लगाकर कान
सत् सेवा है मान्....
सुन बिजेन्द्र कर ध्यान
करो ईश गुणगान....
सत्कर्मों को मान
हो तेरा कल्याण...
पर हीत धर्म समान
करो न्योछावर प्राण...
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
बिजेन्दर बाबू
7250299200