प्रकृति का नववर्ष!
✍️बिजेन्द्र कुमार तिवारी
प्रथम दिवस नवरात्र का, प्रकृति का नववर्ष।
इस बेला में झूमें गयें, मिलकर सभी सहर्ष।।
नव पत्तों में पुलकित तरुवर, मंद मंद मुस्काये।
मदमाति मदहोश हवायें, सुखद सनेसा लाये।।
ऋतु बसंत स्वागत करता है, नव सूरज की लाली का।
नव संवत्सर देख खड़ा है, लिए राज खुशहाली का।।
कू कू करती कोयल देखो, जीवन राग सुनाये।
सरस सुखद समरस जीवन का, नैतिक मार्ग बताये।।
नव कलियाँ नव पत्ते कोमल, नव सूरज की लाली।
नव फसलों के बीज देख हो, मस्त बजायें ताली।।
तन-मन पुलकित हर्षित जीवन, स्वागत में है आज।
मुद मंगल आनंद हृदय से स्वागत करे समाज।।
सुन बिजेन्द्र पावन बेला में, नव शुभ राग जगाओ।
मन के सारे भेद मिटा के, सबको गले लगाओ।।
बिजेन्द्र कुमार तिवारी
(बिजेन्दर बाबू)
गैरतपुर, मांझी
सारण, बिहार
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