दिव्यालयः जीवन की चुनौतियों पर विजय—-तनाव प्रबंधन!
प्रेरणादायी वक्ता - श्री अजय भल्ला जी
✍️ मंजु बंसल ‘रमा ‘
दिव्यालय, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है-दिव्य आलय यानी जहाँ हमें दिव्य ज्योति प्राप्त हो सके, वास्तव में इस आभासी पटल पर हम सिर्फ़ साहित्य की ही साधना नहीं करते वरन् योग-ध्यान, आध्यात्मिक व समय-समय पर जीवन को सहज व सरल बनाने हेतु भारत के विभिन्न प्रदेशों के वक्ता व आचार्य प्रेरणादायी परिचर्चा कर हमारे जीवन में आने वाली चुनौतियों को किसी हद तक कमतर करने का प्रयास करते हैं।
आज भी भौतिक जगत के आभासी पटल पर दिल्ली के जाने-माने मोटिवेशनल कुशल वक्ता श्री अजय भल्ला जी ने दिव्यालय परिवार की संस्थापिका व्यंजना आनंद मिथ्या, अध्यक्ष व कुशल संचालक मंजरी निधि गुल, उपसचिव लंदन से किशोर जैन किसलय व अनेक पदाधिकारियों, UPSF के छात्र व दिव्यालय परिवार के गुरुजनों व साधक बहनों की उपस्थिति में वर्तमान समय की सबसे बड़ी समस्या 'तनाव को कैसे दूर किया जाये — तनाव प्रबंधन' पर चर्चा की जिसमें तनाव उत्पन्न होने की स्थिति के साथ-साथ उससे छुटकारा पाने के बहुत ही सहज उपाय सुझाए.
उन्होंने बताया कि जीवन में परिवार या अन्य किसी के भी साथ छोटी-मोटी अनावश्यक बातों को तूल न देकर उसे दरकिनार करना सीखें क्योंकि कोई भी व्यक्ति स्वयं में पूर्ण हो ही नहीं सकता. रिश्तों को निभाने के लिए ऐसा करना अत्यावश्यक है। इंसान के जीवन में तनाव पैदा होने के कई कारण हैं- यथा बच्चों का लालन-पालन, शिक्षा-दीक्षा, पारिवारिक समस्यायें, आर्थिक परिस्थितियाँ, कार्यस्थल पर अनुशासनहीनता या असंतोष आदि अनेक कारण हैं जो मानव -मस्तिष्क पर गहन प्रभाव छोड़ते हैं एवं शनैः-शनैः वह तनावग्रस्त होकर अवसाद तक की स्थिति में पहुँच जाता है जो शारीरिक व मानसिक हानि पहुँचाता है ।इसी स्थिति को Anxiety Disorders या हिंदी में तनावग्रस्त विकार कहते हैं।
प्रत्येक मनुष्य दोहरी जिंदगी जीता है - बाह्य व आंतरिक अर्थात् घरेलू व सामाजिक या कृत्रिम एवं प्राकृतिक अगर हम दोनों परिस्थितियों में सामंजस्यपूर्ण जीवन जीते हैं तो सहज रह सकते हैं। किसी भी प्रकार का भय, चाहे वह जानवरों से हो, किसी मनुष्य या कीट-पतंगों से भय, स्वप्न विशेष का भय, खून को देखकर भयग्रस्त होना आदि अनेक कारणों से होने वाला भय फोबिया कहलाता है। अनावश्यक अंधविश्वास भी तनाव या अवसाद का कारण बन सकता है। लंबी अवधि तक विपरीत परिस्थितियाँ भी मानव को चिंताग्रस्त कर तनाव का कारण बन सकती हैं। कहने का आशय है कि किसी भी प्रकार का भय, सामाजिक या पारिवारिक परिस्थितियाँ, शीघ्र ही क्रोधित होना तनाव के प्रमुख कारण हैं। Anxiety एक मानसिक समस्या है जो आज की तीव्र दिनचर्या में सामान्य अवस्था है जब मनुष्य का भौतिक, भावनात्मक, शारीरिक व आध्यात्मिक तारतम्य बिगड़ जाता है तो वह चिंताग्रस्त हो जाता है। अनावश्यक पसीना आना, मुँह सूखना, छाती में दर्द, जी मिचलाना, हाथ-पैरों में झनझनाहट आदि मन-मस्तिष्क में तनाव बढ़ने की प्रक्रिया है।
परंतु कुछ आसान क्रियाओं के नियमित अभ्यास से हम इन स्थितियों से निजात पा सकते हैं ।सर्वप्रथम हमें डीप ब्रीदिंग यानी गहरी साँसें लेने का अभ्यास करना ज़रूरी है वो भी फेफड़े से नहीं , पेट के निचले हिस्से से साँस लेने व छोड़ने की प्रक्रिया को शांत चित्त से दिन में से जितनी बार संभव हो करें। खाना खूब चबाकर व आराम से खाएं, जिससे वह आसानी से पच सके क्योंकि तनाव रहने पर हमारी पाचन क्रिया पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। किसी से भी चाहे हमारी संतान हो, रिश्तेदार या मित्र अपेक्षायें नहीं के बराबर रखें ।जैसी भी परिस्थिति हो उसी के अनुरूप रहें। ख़ाली समय में अपने शौक जो शायद ज़िम्मेदारियों के कारण दमित हो गये थे, उन्हें पूरा करना का प्रयास करें। सर्वप्रथम अपने इष्टदेव को निरंतर स्मरण करें व उनके नाम का जप करें। जिससे सकारात्मक उर्जा हमारे मस्तिष्क में प्रवेश कर अंतस से नकारात्मकता को दूर करती है।
तनावग्रस्त मनुष्य को हृदय संबंधी रोग, पाचन तंत्र का ख़राब होना, शरीर में शुगर लेवल बढ़ना आदि अनेक रोग घेर लेते हैं। अतः हमें आध्यात्मिक दृष्टिकोण व सामान्य शारीरिक व्यायाम एवं योग-ध्यान को दिनचर्या में सम्मिलित करना चाहिए, जिससे हम खुशी व शांतिपूर्ण जीवन का आनंद ले सकें।