विश्व यक्ष्मा दिवस
हां! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं, प्रतिबद्ध, निवेश, वितरित" जैसे महत्वपूर्ण थीम के साथ मनाया गया!
जिलाधिकारी के दिशा निर्देश में जिले के 93 पंचायतो को किया गया टीबी मुक्त पंचायत: सिविल सर्जन
टीबी मुक्त बनाना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी: डॉ सुरेंद्र कुमार
सौ दिन कार्यक्रम अभियान के तहत 20 लाख से अधिक लोगों का किया गया स्क्रीनिंग: डीपीसी
सिवान (बिहार): वर्ष 2024 में कुल 6849 टीबी मरीज चिन्हित किया गया है, जिसमें सरकारी संस्थान में 3572 एवं निजी चिकित्सकों द्वारा 3277 मरीजों की पहचान की गई है। लिहाज़ा यह कहना मुश्किल नहीं होगा कि हम लोग अब धीरे धीरे टीबी मुक्त अभियान को सफल बनाने की दिशा की ओर बढ़ रहे हैं। हालांकि अभी भी हमलोगों को आपसी समन्वय स्थापित कर जड़ से मिटाने की आवश्यकता है। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने सदर अस्पताल परिसर में विश्व यक्ष्मा दिवस के अवसर पर उपस्थित ए एन एम स्कूल की छात्राओं सहित अन्य लोगों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने यह भी कहा कि जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता के दिशा निर्देश में जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों से 119 पंचायतो का चयन टीबी मुक्त पंचायत अभियान के अंतर्गत किया गया है। जिसमें अंतिम रूप से कुल 93 पंचायत सफल हुआ है। प्रत्येक वर्ष अलग अलग विषयों पर विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। हालांकि इस वर्ष "हां! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं, प्रतिबद्ध, निवेश, वितरित" जैसे महत्वपूर्ण थीम के साथ मनाया गया है।
प्रभारी संचारी रोग पदाधिकारी डॉ सुरेंद्र कुमार ने बताया कि समुचित इलाज से टीबी को आसानी से मात दिया जा सकता है। हालांकि इसके लिए समय पर रोग की पहचान व नियमित दवा का सेवन बेहद जरूरी है। साथ ही टीबी मरीजों के लिए उचित पोषाहार का सेवन विशेष रूप से करना जरूरी होता है। टीबी की जांच व उपचार की सुविधा सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है। सबसे अहम बात यह है कि टीबी के कारण लोगों की कार्य क्षमता प्रभावित होती है। इससे व्यक्ति का विकास व तरक्की बाधित होता है। जिस कारण परिवार, समाज व देश की तरक्की बाधित हो जाती है। इसलिए टीबी मुक्त भारत अभियान में सामूहिक भागीदारी निभाते हुए देश को पूरी तरह से टीबी मुक्त बनाना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। मरीजों का बड़ा हिस्सा अब भी इलाज के लिए सरकारी अस्पताल नहीं पहुंच पाता है। जबकि टीबी का इलाज सरकारी अस्पतालों में हर दृष्टिकोण से बेहतर हैं। क्योंकि यहां जांच से लेकर इलाज की नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध है। वहीं रोगियों को पोषाहार सेवन के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपए सहायता राशि के रूप में दी जाती है।
यक्ष्मा विभाग के जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) दीपक कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत राज्य एवं भारत सरकार द्वारा उन्नत इलाज की कई पद्दति विकसित की गई है, जिसमें अत्यधिक गंभीर मरीजों के लिए टीबी से संबंधित मृत्यु दर को कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के मापदंडों, चिकित्सा इतिहास और सह- रुग्णताओं का आधार और टीबी निवारक उपचार का कार्यक्रमिक प्रबंधन (पीएमटीपीटी) के तहत सीवाई- टीबी इंजेक्शन के माध्यम से टीबी इन्फेक्शन की पहचान के अलावा आधुनिक उपचार की सुविधा मरीजो को उपलब्ध करायी जा रही है। वर्ष 2024 राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहा जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में रोग की पहचान के लिए अत्याधुनिक ट्रूनेट मशीन लगाया गया है। वहीं अल्ट्रा पोर्टेबल एक्सरे मशीन से बहुत ही जल्द यानि हाथों हाथ बीमारी की पहचान की जा रही है। राज्य के 10 जिलों में 100 दिन संचालित अभियान में सिवान जिले ने 02 लाख से अधिक लोगों का स्क्रीनिंग किया गया है। जिसमें लगभग एक हजार से अधिक कैदियों का स्क्रीनिंग और अल्ट्रा पोर्टेबल एक्सरे मशीन द्वारा जांच किया गया है। जिसमें 15 से अधिक संदिग्ध मरीजों की पहचान हुई है।
सुबह में ए एन एम स्कूल की छात्राओं द्वारा प्रभात फेरी के माध्यम से आमजनों को जागरूक करने तथा टीबी बीमारी के लक्षण एवं बचाव सहित कई अन्य विषयों से संबंधित जानकारी दी गई। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद, प्रभारी संचारी रोग पदाधिकारी डॉ सुरेंद्र कुमार, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, जिला योजना समन्वयक (डीपीसी) दीपक कुमार, वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक (एसटीएस) राम सागर राम, एसटीएलएसओम प्रकाश प्रसाद, लिपिक अमितेश कुमार, डाटा ऑपरेटर बलवंत कुमार, सहयोगी संस्था ट्राई इंडिया जिला समन्वयक निरज गोस्वामी एवं कम्युनिटी रेडियो स्नेही के मधुसुदन प्रसाद सहित टीम के कई अन्य साथी शामिल हुए।