कालाजार उन्मूलन को लेकर संचालित छिड़काव अभियान का दीप प्रज्वलित कर किया विधिवत उद्घाटन!
कालाजार उन्मूलन को लेकर संचालित छिड़काव अभियान की सफलता में जन प्रतिनिधियों का सहयोग महत्वपूर्ण: सिविल सर्जन
नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की बालू मक्खियां ज्यादा फैलने की संभावना: डॉ ओपी लाल
सिवान (बिहार): लोगों को बालू मक्खी के काटने से होने वाले बीमारी कालाजार से सुरक्षित रखने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा शनिवार से जिले में 60 दिवसीय कालाजार छिड़काव अभियान की शुरुआत की गई है। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने भगवानपुर हाट प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के सभागार में आयोजित उद्घाटन समारोह के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता के दिशा निर्देश में जिले के दरौली, आंदर और हसनपुरा प्रखंड को छोड़ कर शेष सभी 16 प्रखंडों के 135 पंचायतों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रशिक्षित 26 टीम गृह भ्रमण कर 1 मार्च से शुरू होकर 60 दिनों तक सिंथेटिक पैराथायराइड (एसपी) दवा का छिड़काव करेंगी। जहां पिछले तीन वर्षों में कालाजार के संभावित मरीज पाए गए हैं। कालाजार रोग को पूरी तरह से खत्म करने के लिए हर स्तर पर जरूरी प्रयास करने की जरूरत है। हालांकि सभी विभाग के आपसी समन्वय व आम लोगों के सहयोग से ही इस रोग से पूरी तरह निजात पाया जा सकता है। कालाजार उन्मूलन को लेकर संचालित छिड़काव अभियान की सफलता में उन्होंने जन प्रतिनिधियों के सहयोग को महत्वपूर्ण है। क्योंकि जन- जागरुकता व सामूहिक भागीदारी से ही इस रोग को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।
नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की बालू मक्खियां ज्यादा फैलने की संभावना: डॉ ओपी लाल,
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने उपस्थित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मी और छिड़काव कर्मियों सहित स्थानीय लोगों से कहा कि नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की बालू मक्खियां ज्यादा फैलती है, लेकिन इससे ग्रसित मरीजों का इलाज आसानी से संभव है। यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार, पेट के आकार में वृद्धि, भूख नहीं लगना, उल्टी होना, शारीरिक चमड़ा का रंग काला होना आदि कालाजार बीमारी के लक्षण हैं। ऐसा लक्षण वाले मरीजों को विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) कालाजार की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसा लक्षण शरीर में महसूस होने पर ग्रसित मरीज को अविलंब जांच कराना जरूरी होता है। इसका इलाज कराने के बाद भी ग्रसित मरीज को सुरक्षित रहने के आवश्यकता होती है। इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं जिसे पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) कालाजार से ग्रसित मरीज कहा जाता है। मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कालाजार का इलाज आसानी से हो सकता है।
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार नीरज कुमार सिंह ने बताया कि सिवान जिले में 60 दिवसीय छिड़काव अभियान के लिए जिले के 16 प्रखंडों के 135 गांव को चिह्नित किया गया है। जहां संभावित मरीजों की संख्या देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 106 स्वास्थ्य उपकेंद्र के अंतर्गत 97 पंचायत के 135 राजस्व गांव जबकि शहरी क्षेत्र के 04 वार्ड का गृह भ्रमण कर छिड़काव कराया जाएगा। वहीं 4 लाख 65 हजार 98 जनसंख्या का सुरक्षित रखने के लिए 87 हजार 395 घरों के 2 लाख 88 हजार 41 कमरे का टीम द्वारा छिड़काव किया जाएगा। कालाजार उन्मूलन के लिए छिड़काव अभियान की शुरुआत सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल, स्थानीय सीएचसी भगवानपुर हाट के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विजय कुमार के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया गया। जबकि इस अवसर पर डीवीबीडीसीओ डॉ ओपी लाल, भगवानपुर हाट सीएचसी के एमओआईसी डॉ विजय कुमार, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, बीएचएम मोहम्मद अलाउद्दीन, बीसीएम अनूप कुमार, वीबीडीएस जावेद मियांदाद, पीरामल स्वास्थ्य के पीओसीडी सोनू सिंह सहित स्वास्थ्य विभाग के कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित रहे।