एईएस और जेई से संबंधित कार्यक्रमों को लेकर दो दिवसीय प्रशिक्षण सह बैठक कार्यक्रम आयोजित!
रोकथाम, नियंत्रण और उपचार के लिए कई प्रकार के उठाए जा रहे कदम: डॉ ओपी लाल
सिवान (बिहार): एईएस और जेई सहित अन्य प्रकार वेक्टर जनित रोगों से संबंधित कार्यक्रमों पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय द्वारा दो दिवसीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य रूप से संभावित एईएस और जेई के संबंध में स्थानीय जिलेवासियों को जागरूकता अभियान के माध्यम से बीमारी को रोकने के हर संभव प्रयास करना है। ताकि बीमारी के लक्षणों और बचाव के तरीकों से परिचित हो सकें।
उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने यह भी कहा कि गर्मी के दिनों में एईएस (तीव्र इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) और जेई (जापानी इंसेफेलाइटिस) जैसे बीमारियों से निपटने के लिए जिला प्रशासन के दिशा निर्देश में विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड में है, जिसमें रोकथाम, नियंत्रण और उपचार के लिए कई कदम उठाया गया हैं। जिसमें मुख्य रूप से जागरूकता अभियान, प्रशिक्षण और उपचार के लिए तैयारी को शामिल किया गया है। हालांकि जिले के सभी प्रखंडों में आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा लोगों को बताया जा रहा है कि सर दर्द, तेज बुखार रहना, जो 5 से 7 दिनों से ज्यादा का ना हो, अर्ध चेतना एवं मरीज में पहचान की क्षमता का नहीं होना, भ्रम की स्थिति में होना, बच्चों का बेहोश हो जाना, शरीर में चमक होना अथवा हाथ पैर में थरथराहट होना, पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना या हाथ पैर का अकड़ जाना, बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन ठीक न होना चमकी बुखार के लक्षण है। इनमें कोई भी लक्षण दिखने पर अविलंब चिकित्सकीय परामर्श लेने की बात कही जा रही है।
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार नीरज कुमार सिंह एवं वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी (वीडीसीओ) विकास कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि एईएस/जेई सहित कई अन्य वेक्टर जनित रोगों से संबंधित बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम दिन जिले के सभी वेक्टर जनित रोगों में कार्यरत कर्मियों यथा- वीबीडीएस, बीएचआई, बीएचडब्ल्यू, एचई और सीआई को प्रशिक्षित किया गया। जबकि दूसरे व अंतिम दिन स्थानीय स्तर पर वेक्टर जनित रोग नियंत्रण विभाग को सहयोग करने वाली पीरामल स्वास्थ्य के जिला प्रमुख, कार्यक्रम प्रमुख और पीओसीडी को प्रशिक्षित करते हुए गर्मी के दिनों में एईएस और जेई से लड़ने के लिए हर संभव तैयार रहने के लिए कहा गया है। क्योंकि एईएस (तीव्र इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) यह एक ऐसी बीमारी है जो मस्तिष्क को प्रभावित करती है, हालांकि इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से वायरस, बैक्टीरिया और अन्य संक्रमण शामिल हैं। जबकि जेई (जापानी इंसेफेलाइटिस) यह एक वायरल बीमारी है जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है। हालांकि इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों द्वारा शिक्षा विभाग से आपसी समन्वय स्थापित किया जा रहा है। जिससे स्कूली बच्चों को दिमागी बुखार के प्रति जागरूक किया जा सके। इस अवसर पर डीवीबीडीसीओ डॉ ओम प्रकाश लाल, डीवीबीडीसी नीरज कुमार सिंह, वीडीसीओ प्रीति आनंद, विकास कुमार, कुंदन कुमार एवं सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि कुमार कुंदन सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।