स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों के बदौलत आंदर सीएचसी के बढ़ते कदम:
संस्थागत प्रसव कराने में निजी अस्पतालों जैसा व्यवहार और व्यवस्था के कारण ही आंदर सीएचसी पहली पसंद: लाभार्थी
अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक 1459 हुआ संस्थागत प्रसव: डॉ दीपक विश्वकर्मा
सिवान (बिहार): मातृ मृत्यु व नवजात मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने के उद्देश्य से जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आंदर में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा हैं। क्योंकि प्रथम तिमाही में गर्भवती महिलाओं की पहचान, प्रसव पूर्व चार एएनसी जांच व संस्थागत प्रसव बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की आवश्यक इंतजाम हैं। जिसको लेकर संस्थागत प्रसव से संबंधित मामलों में अपेक्षित सुधार देखा जा रहा है। स्थानीय प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दीपक कुमार विश्वकर्मा के अनुसार स्थानीय प्रखंड के 10 पंचायत और एक नगर पंचायत वाला आंदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सीमावर्ती इलाकों से कुछ मरीज़ अपना उचित परामर्श या उपचार कराने के लिए आते हैं। लेकिन गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल सिवान रेफर कर दिया जाता है। स्थानीय अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाओं सहित अन्य मरीजों को विभागीय स्तर पर मिलने वाली सुख सुविधाओं का हर संभव ख्याल रखा जाता है। ताकि किसी भी व्यक्ति को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नही करना पड़े। विगत अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 तक 1459 संस्थागत प्रसव हुआ है। जिसमें अप्रैल 2024 में 137, मई में 191, जून में 95, जुलाई में 138, अगस्त में 134, सितंबर में 110, अक्टूबर में 122, नवंबर में 140, दिसंबर में 138, जनवरी 2025 में 152 जबकि फरवरी में 102 प्रसव कक्ष की प्रभारी स्टाफ नर्स पूनम कुमारी और रीता, माधुरी, नूतन और अनुराधा कुमारी के अलावा स्टाफ नर्स प्रीतम कुमार और आठ ममता दीदी के सहयोग से सहज तरीके से संस्थागत प्रसव कराया गया है।
आंदर प्रखंड के सुल्तानपुर गांव निवासी मिंटू कुमार ने बताया कि अपनी पत्नी पुतुल कुमारी का संस्थागत प्रसव यही कराए है। क्योंकि स्थानीय स्तर पर हर तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध है। लिहाज़ा स्थानीय प्रखंड के नागरिकों से अपील है कि आप सभी अपने नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी प्रसव कराए। क्योंकि सभी तरह की व्यवस्थाएं सहित दवा बिल्कुल ही निःशुल्क है। हालांकि पहले कुछ कमियां होने की बातें सुनने को मिली थी। लेकिन यहां आने के बाद वैसा कुछ देखने को नहीं मिला है। हमलोग निजी अस्पतालों में जाने के बजाय सरकारी अस्पताल का चयन करते हैं। क्योंकि यहां के चिकित्सक और कर्मियों का व्यवहार घर जैसा होने के साथ ही हर तरह की सुख सुविधाएं उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि पहले तो इतनी सुविधाएं उपलब्ध नही थी लेकिन इसके बावजूद यहां की व्यवस्था को देखने से ऐसा कभी नहीं लगा की कोई कमी है। लेकिन सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम और प्रशिक्षण के बाद बहुत ज्यादा बदलाव आया है। जिसका नतीज़ा हम सभी के सामने दिख रहा है। दिनों दिन प्रसव की संख्या बढ़ती जा रही है।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि जिला सहित अन्य सभी स्वास्थ्य केंद्रों में संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए डीपीएम विशाल कुमार और जिला सलाहकार, गुणवत्ता यकीन पदाधिकारी (डीसीक्यूए) कुमार अभिमन्यु सहित संबंधित स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा पदाधिकारियों के संयुक्त रूप से बेहतर रणनीति व सामूहिक प्रयास कारगर साबित हो रहा है। क्योंकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आंदर को कायाकल्प योजना से संबंधित मूल्यांकन और अनुश्रवण के लिए जल्द ही टीम आने वाली है। जबकि इसके साथ ही राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्वास) को लेकर तैयारी शुरू की गई है। ताकि इससे भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराया जा सके। हालांकि समुदाय स्तर पर कार्य करने वाली आशा कार्यकर्ताओं से लेकर प्रसव कक्ष में प्रतिनियुक्त कर्मियों के क्षमता संर्वद्धन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इतना ही नहीं प्रथम तिमाही के दौरान गर्भवती महिलाओं की पहचान को लेकर भी युद्धस्तर पर प्रयास किया जाता हैं।