चमकी बुखार और मस्तिष्क ज्वर के रोकथाम को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण!
• सभी बीएचएम-बीसीएम और वीबीडीएस को दिया गया ट्रेनिंग
• छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा
• संभावित खतरों के प्रति पूरी तरह सतर्क रहना जरूरी
• चमकी के तीन धमकी को हमेशा रखें याद
सारण (बिहार): छपरा जिले में चमकी बुखार और मस्तिष्क ज्वर के रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों का क्षमता वर्धन किया गया। सदर अस्पताल के जीएनएम भवन में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें एईएस-जेई की रोकथाम, प्रसार तथा उपचार से संबंधित जानकारी दी गयी। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह, विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य समन्वयक डॉ. राजेश पांडेय के द्वारा जिला और अनुमंडलीय अस्पताल के अस्पताल प्रबंधक, जिले के सभी प्रखंडों के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक और वेक्टर बॉर्न डिजिज सुपरवाइजरों को प्रशिक्षण दिया गया। डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि अप्रैल से जुलाई तक के महीनों में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा होती है। प्रशिक्षकों द्वारा बताया गया कि एईएस व जेई एक प्राणघातक बीमारी है लेकिन सही समय पर रोग का उचित प्रबंधन नहीं होने से बीमार बच्चों की मौत हो सकती है। बच्चों में ज्ञात और अज्ञात कारणों से भी चमकी बुखार जैसे लक्षण हो सकते हैं। चमकी बुखार व जेई के संभावित खतरों के प्रति पूरी तरह सतर्क रहना है। समय पर रोग के कुशल प्रबंधन से इस बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है। लिहाजा सभी स्वास्थ्य संस्थानों में एईएस इमरजेंसी हेल्थ किट व रोग संबंधी गंभीर मामलों को तुंरत उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में रेफर किया जाने को लेकर बेहतर इंतजाम सुनिश्चित कराना जरूरी है। डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि जिला अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल सहित सभी सीएचसी, पीएचसी में चमकी बुखार के उपचार और रोकथाम के लिए अलग से वार्ड बनाया जायेगा। इसके साथ हीं सभी आवश्यक दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी। इस मौके पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ के राज्य समन्वयक डॉ. राजेश पांडेय, डीपीएम अरविन्द कुमार, डीपीसी रमेशचंद्र कुमार, डीसीएम ब्रजेंद्र कुमार सिंह, जिला वेक्टर रोग सलाहकार सुधीर कुमार सहित अन्य मौजूद थे।
सही समय पर उचित प्रबंधन जरूरी:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य समन्वयक डॉ. राजेश पांडेय ने कहा कि चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर संबंधी मामलों का कुशल प्रबंधन जरूरी है. प्रारंभिक अवस्था में रोग की पहचान व इलाज से जान माल की क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकता है। लिहाजा इसे लेकर स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर संबंधी मामलों की रोकथाम व कुशल प्रबंधन के साथ-साथ संबंधित मामलों को प्रतिवेदित करने बात कही। प्रशिक्षण के दौरान चमकी बुखार से जुड़े सभी तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि एईएस व जेई एक प्राणघातक बीमारी है। सही समय पर रोग का उचित प्रबंधन नहीं होने से बीमार बच्चों की मौत भी हो सकती है।
क्या है चमकी बुखार का लक्षण:
जिला वेक्टर रोग सलाहकार सुधीर कुमार ने बताया कि सिर में दर्द, तेज बुखार, अर्ध चेतना, मरीज में पहचानने कि क्षमता नहीं होना, भ्रम कि स्थिति में होना, बेहोशी, शरीर में चमकी, हाथ व पांव में थरथराहट, रोगग्रस्त बच्चों का शारीरिक व मानसिक संतुलन बिगड़ना एइएस व जेई के सामान्य लक्षण हैं। इन लक्षणों के प्रकट होने से पहले बुखार हो भी सकता है व नहीं भी, ऐसे मामले सामने आने पर रोग ग्रस्त बच्चों का उचित उपचार जरूरी है। कहा कि चमकी बुखार से संबंधित गंभीर मामले सामने आने पर जरूरी उपचार के साथ उन्हें तत्काल एंबुलेस उपलब्ध कराते हुए उच्च चिकित्सा संस्थान रेफर किया जाना जरूरी है। ताकि रोगी का समुचित इलाज संभव हो सके।
चमकी की तीन धमकी को रखें याद:
चमकी को धमकी के तहत तीन बातों को जरूर याद रखना चाहिए। खिलाओ, जगाओ और अस्पताल ले जाओ। बच्चे को रात में सोने से पहले खाना जरूर खिलाएं, सुबह उठते ही बच्चों को भी जगाए और देखें बच्चा कहीं बेहोश या उसे चमकी तो नहीं है। बेहोशी या चमकी को देखते ही तुरंत एंबुलेंस या नजदीकी गाड़ी से अस्पताल ले जाना चाहिए।