प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के संस्थापक सह आदि पिता प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 56वीं अव्यक्त पुण्य सह स्मृति दिवस समारोह का हुआ आयोजन!
लगभग 60 साल की उम्र में परमात्मा शिव बाबा के द्वारा हुआ ब्रह्मा बाबा का साक्षात्कार: ब्रह्माकुमारी अनामिका दीदी
सारण (बिहार): ब्रह्मा बाबा का जीवन नारी सशक्तिकरण और आध्यात्मिक शिक्षा का प्रतीक रहा है। क्योंकि उनका मानना था कि नारी अबला नहीं सबला है और उन्होंने अपने जीवन के माध्यम से मानवता को आत्मज्ञान और दिव्यता की ओर प्रेरित किया। उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के संस्थापक सह आदि पिता प्रजापिता ब्रह्मा बाबा की 56वीं अव्यक्त पुण्य सह स्मृति दिवस के दौरान समारोह के सारण जिला इकाई की संचालिका ब्रह्माकुमारी अनामिका दीदी ने उपस्थित भाई और बहनों को संबोधित करते हुए कही। आज जिनके पास कुछ नहीं है, वैसे लोग शांति से रहने के लिए सब कुछ प्राप्त करने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन विडंबना यह भी है कि जिनके पास सब कुछ है उन्हें भी शांति की तलाश है। लेकिन शांति को कहीं बाहर ढूंढने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि यह हमारी अपनी संपत्ति और स्वधर्म है। स्वयं के आत्मा निश्चय करते ही हमारा संबंध शांति के सागर परमात्मा पिता के साथ जुड़ता है और हम सच्ची शांति का अनुभव कर शांति के वाहक बन जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व शांति दिवस के रूप में प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के संस्थापक ब्रह्मा बाबा की 56वीं पुण्यतिथि सह स्मृति दिवस भारत सहित 140 से अधिक देशों में मनाया जा रहा है।
बीके अनामिका दीदी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा 18 जनवरी 1969 को अपनी पार्थिव देह का त्याग कर संपूर्ण अवस्था प्राप्त की थी। हालांकि मूल रूप से दादा लेखराज कृपलानी के नाम से जाने जाने वाले ब्रह्मा बाबा ने 1936/37 में अपनी संपूर्ण संपत्ति समाज सेवा के लिए समर्पित कर एक ट्रस्ट की स्थापना की थी। जिसमें नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए इस ट्रस्ट का संचालन महिलाओं को सौंपा गया था। ब्रह्मा बाबा का लौकिक नाम लेखराज कृपलानी था और उनका जन्म 15 दिसंबर 1876 को हैदराबाद के सिंध (अब पाकिस्तान) निवासी पिता खूब चंद कृपलानी के घर में हुआ था। हालांकि बड़े होकर उन्होंने हीरे परखने और ज्वेलरी की कला सीखने के बाद समय के साथ कोलकाता के नामचिन हीरे के बहुत बड़े व्यापारी बन गए। लेकिन जब उनकी आयु 60 साल के करीब रही होगी तो परमात्मा शिव बाबा उन्हें कुछ साक्षात्कार करवाए। वर्ष 1937 में दादा लेखराज को परमात्मा द्वारा साक्षात्कार होने लगे थे। दैवी प्रेरणा के अनुसार दादा लेखराज एक सत्संग का आरंभ कर आने वाले भाई बहनों को गीता के पाठ एवं आध्यात्मिक ज्ञान सुनाने लगे एवं ओम का धुनी लगवाने लगे थे।
स्थानीय शहर के गुदरी राय चौक स्थित ब्रह्मा कुमारी केंद्र में सुबह में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें योग तपस्या, ब्रह्मा बाबा का जीवनी, भोग, श्रद्धांजलि सभा में आगत अतिथियों और उपस्थित जिले के सभी 55 पाठशाला की संचालिका ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा अपना - अपना अनुभव साझा किया गया। जबकि साधना के माध्यम से बाबा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रसाद वितरण के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम में सभी उपस्थित भाई और बहनों ने बाबा की शिक्षाओं को जीवन में उतारने का संकल्प लिया। इस अवसर पर ब्रह्म कुमारी अनामिका दीदी के अलावा बहनों में बीके प्रियांशु, ज्योति, अर्पणा, अनिता, खुशबू, प्रिया, पिंकी, पूनम जबकि भाइयों में बीके प्रिंस, अर्जुन, गणेश, दिवाकर, गोविंद, उदय और राजा भाई सहित कई लोग मौजूद थे।