किसानों की गिरफ्तारी शुरू, शैलेश गिरि ने की कड़ी निंदा!
नई दिल्ली: नई दिल्ली में चल रहे किसानों आंदोलन को लेकर भारतीय हलधर किसान यूनियन के नेताओं की गिरफ्तारियां शुरू हो गई है। इसको लेकर राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता शैलेश कुमार गिरि ने सरकारी दमनकारी नीतियों की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि माननीय भारतीय हलदर किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरेंद्र सोलंकी के निर्देशानुसार कल शनिवार को एटा होते हुए नोएडा के लिए प्रस्थान कर रहे किसानों के गिरफ्तारियां, नज़र बंद करना शुरु कर दिया गया। आपको बताते चलें कि अब तक प्राप्त सूचना के अनुसार भाकियू हलधर के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रवक्ता विमल यादव गुड्डू को थाना प्रभारी फरिया जनपद फिरोजाबाद द्वारा हिरासत में लिया गया और ठाकुर अमित कुमार सिंह जिला उपाध्यक्ष कासगंज भारतीय हलधर किसान यूनियन जो आज 20 गाड़ियों के साथ गौतमबुद्ध नगर के उत्पीड़न के समर्थन में 20 गाड़ियां लेकर हम रावाना हो रहे थे, उन्हें भी थाना ढोलना प्रभारी ने घर में ही किया नजर बंद किया गया। सरकार के इस हिटलरशाही पूर्ण दमनकारी रवैए से अब उत्तर प्रदेश ही पूरे देश के सभी राज्यों के किसान देवताओं में रोष व्याप्त होना लाजिमी है। लेकिन भारतीय हलधर किसान यूनियन ये पहले बता चूकि है कि भाकियू हलधर संवैधानिक मानदंडों का पालन करते हुए शांतिपूर्ण ढंग गांधीवादी विचारधारा के अनुरूप ही हमारा आंदोलन, धारना एवं प्रर्दशन होगा तो आखिर फिर सरकार ऐसा क्यों कर रही है। मैं शैलेश कुमार गिरि इसकी कड़े शब्दों निंदा करता हूं और कहना चाहता हूं कि सरकार व्यवधान उत्पन्न कर सकती है, लेकिन देश की आत्मा व रीढ़ किसानों के भीतर प्रस्फुटित होने वाली वैचारिक आंदोलन को कुचलने में कब तक सफल हो पायेगी। देश की आत्मा व रीढ़ कहे जाने वाले किसान जो प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं और जब तक गांव के गली कुचों तथा किसानों का विकास नहीं होगा। तब हमारा देश भारत विकासशील से विकसित देश बन ही नहीं सकता। अतः मैं शैलेश कुमार गिरि सरकार से बार बार कर बद्ध आग्रह करता हूं कि सरकार प्राप्त संवैधानिक अधिकारों का हनन न करें। भारतीय हलधर किसान यूनियन सरकार से निवेदन करता है कि आप एक बार भारतीय हलधर किसान यूनियन के चुनिंदा पांच प्रतिनिधियों से वार्ता की तारीख सुनिश्चित करें और भाकियू हलधर सरकार को आशा नहीं पूर्ण विश्वास दिलाना चाहता है कि आप सिर्फ और सिर्फ तीन मांगों पर सकारात्मक पहल करे तो बार-बार आंदोलन से छुटकारा मिल जाएगा। किसान आयोग का गठन कर, गठित आयोग में किसानों के प्रतिनिधि अध्यक्ष व सदस्य रहें तो किसानों की 70 प्रतिशत समस्या का समाधान यही हो जाएगा। लेकिन सरकार गैर-संवैधानिक, दमनकारी नीतियों से बाज आए।