फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत विभागीय अधिकारियों सहित अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा किया जाता है भरपूर सहयोग!
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में हाइड्रोसील मरीजों का सफलता पूर्वक कराया जा रहा है ऑपरेशन: डॉ ओपी लाल
जिलाधिकारी द्वारा हाइड्रोसील के मरीजों की पहचान कर सुरक्षित करने को लेकर दिया गया आवश्यक दिशा निर्देश: सिविल सर्जन
सिवान (बिहार): फाइलेरिया (हाथीपांव और हाइड्रोसिल) एक गंभीर समस्या उत्पन्न करने वाली बीमारी है। लेकिन हाइड्रोसिल का सफल ऑपरेशन कराने के बाद पूरी तरह से ठीक किया जा सकता हैं। लेकिन पुरुषों और महिलाओं में हाथीपांव जबकि महिलाओं के स्तन में सूजन की समस्या का स्थाई समाधान मिलना मुश्किल है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी या कर्मियों सहित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पीरामल स्वास्थ्य, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सिफार) के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत हाथीपांव के रोगियों को साफ सफाई करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। विभागीय अधिकारियों यथा - जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी) नीरज कुमार सिंह, वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी (बीडीसीओ) प्रीति आनंद, विकास कुमार और कुंदन कुमार के द्वारा जिले के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर मरीजों का फॉलोअप कराया जाता है। हालांकि विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों या आयोजनों में डब्ल्यूएचओ और पीरामल स्वास्थ्य के अधिकारियों का भरपूर सहयोग मिलता हैं जबकि जिले के हसनपुरा में सिफार के सहयोग से रोगी हितधारक मंच (पीएसपी) का गठन किया जा रहा है ताकि फाइलेरिया उन्मूलन अभियान का शत प्रतिशत पूरा किया जा सके।
जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल महाराजगंज और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बड़हरिया में प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा हाइड्रोसील फाइलेरिया ग्रसित मरीजों के लिए ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इन स्वास्थ्य संस्थानों में हाइड्रोसील से ग्रसित मरीजों द्वारा ऑपरेशन की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। क्योंकि चिकित्सकों द्वारा ऑपरेशन करते हुए हाइड्रोसील में उपलब्ध फाइलेरिया के कीटाणुओ को नष्ट कर दिया जाता है। ताकि इससे संबंधित व्यक्ति के हाइड्रोसील में होने वाले सूजन से छुटकारा मिल जाता है। जबकि उक्त व्यक्ति हाइड्रोसील फाइलेरिया से सुरक्षित हो जाते हैं। जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में हाइड्रोसिल के 591 मरीजों की पहचान हुई हैं। जिसमें से 244 मरीजों का सदर अस्पताल, बड़हरिया और अनुमंडलीय अस्पताल महाराजगंज में सफलता पूर्वक प्रशिक्षित सह अनुभवी विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा पूर्ण करा लिया गया है। जबकि शेष बचे 147 मरीजों का ऑपरेशन कराया जाना शेष है। जिसमें आंदर में 13, बड़हरिया में 34, बसंतपुर में 08, भगवानपुर हाट में 10, दरौली में 22, दारौंदा में 35, गोरेयाकोठी में 11, गुठनी में 09, हसनपुरा में 18, हुसैनगंज में 02, लकड़ी नबीगंज में 15, महाराजगंज में 06, मैरवा में 02, नौतन में 10, पचरुखी में 36, रघुनाथपुर में 05, सिवान सदर में 03 और जिरादेई में 08 हाइड्रोसिल रोगियो का ऑपरेशन कराया जाना है। लेकिन सबसे अहम बात यह है कि सिसवन में 21 मरीजों की पहचान हुई थी। जबकि शत प्रतिशत लक्ष्य को पूरा कर लिया है।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि क्यूलेक्स मादा मच्छर द्वारा फाइलेरिया ग्रसित मरीजों के काटने के बाद सामान्य व्यक्ति को काटने पर कोई भी व्यक्ति फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित हो सकता हैं। लेकिन संबंधित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित होने की जानकारी लगभग 5 से 10 वर्षों के बाद पता चलता है। जब संबंधित व्यक्ति के फाइलेरिया ग्रसित अंगों में लगातार सूजन होने लगता है। फाइलेरिया ग्रसित होने पर संबंधित व्यक्ति के हाथ या पैर जबकि महिलाओं के स्तन या पुरुषों के हाइड्रोसील में सूजन होने लगता है। हाथ, पैर या महिलाओं के स्तन फाइलेरिया ग्रसित होने पर उसका संपूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता है। वही स्वास्थ्य विभाग द्वारा संबंधित मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से आवश्यक चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाती है। लेकिन हाइड्रोसील फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिकित्सकीय उपचार करते हुए स्वस्थ्य किया जा सकता है। इसके लिए जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में सभी तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है। जिसका संबंधित व्यक्ति द्वारा लाभ उठाया जा सकता है। हालांकि जिलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता द्वारा जिले के सभी चिकित्सा पदाधिकारियों को हाइड्रोसील ग्रसित मरीजों की पहचान होने पर ऑपरेशन कर सुरक्षित करने का निर्देश दिया गया है। जबकि जिले के सभी प्रखंडों में अंडकोष से ग्रसित मरीजों द्वारा नजदीकी अस्पताल में जांच करते हुए उपचार सुविधा का लाभ उठाना चाहिए।