भिखारी ठाकुर यानि भोजपुरी भाषा!
✍️ सत्येन्द्र कुमार शर्मा (पत्रकार)
/// जगत दर्शन न्यूज
भोजपुरी भाषा कहते ही भिखारी ठाकुर का नाम जेहन में कौंधने लगता है। आधुनिक शिक्षा पद्धति में आज किसी भी व्यक्ति के लिए शैक्षणिक योग्यता का माप दंड निर्धारित कर दिया गया है।मापदंड से ही उस व्यक्ति के कृतित्व एवं व्यक्तित्व की चर्चा मार्यादाओं के तहत करने की परंपरा चल आ रही है।
भोजपुरी भाषा के माध्यम से व्यक्ति के जीवन के हर पहलुओं की चर्चा भीखारी ठाकुर के रचनाओं में आसानी से मिल जाएगा। नृत्य कला के दौरान संगीत एवं नाटकों के मंचन के माध्यम से आम अवाम के बीच उन तमाम बातें स्वयं भिखारी ठाकुर द्वारा आम-आवाम के बीच सरलता से परोसा गया है। और उनके तथ्यों को आम-आवाम द्वारा काफी ढ़ंग से ग्राह्य भी किया जाता रहा है।
उनकी रचनाओं के बारे में आज भी उतनी ही चर्चा की जाती है जीतनी चर्चा उनके समय में की जाने की बातें वयोवृद्ध लोगों की मुंह से जुबानी सुनी गई है। उनके बारे में जीतना भी लिखा जाएगा कम ही होगा। जयंती के बहाने थोड़ी चर्चा करने के लिए मन विद्वेलित हो गया। उनके समकालीन भोजपुरी भाषा के लिए काफी लोगों द्वारा रचना रची गई है। लेकिन उन्हें तब भी और आज भी अपने इस क्षेत्रिय भाषा व कंठ की आवाज को लयबद्ध तरीके से परोस कर अमिट बन गये है।