कालाजार उन्मूलन अभियान में उत्कृष्ट प्रदर्शन को लेकर सिवान जिले को किया गया पुरस्कृत!
कालाजार उन्मूलन अभियान को लेकर विभागीय अधिकारियों द्वारा कई बार किया गया भौतिक सत्यापन और मूल्यांकन: डीवीबीडीसीओ
2013 से लेकर नवंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में वीएल के 24 जबकि पीकेडीएल के मात्र 12 मरीजों की हुई पहचा: डीवीबीडीसी
सिवान (बिहार): राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम द्वारा (एनसीवीबीडीसी) के अंतर्गत कालाजार उन्मूलन अभियान में उत्कृष्ट कार्य और क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी को सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय द्वारा पुरस्कृत किया गया है। विभागीय स्तर पर पटना में आयोजित राज्य कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ ओम प्रकाश लाल, जिला वेक्टर जनित रोगी सलाहकार नीरज कुमार और कालाजार उन्मूलन अभियान में सहयोगी संस्था के रूप में कार्य करने वाली पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि कुंदन कुमार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय द्वारा संयुक्त रूप से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद का कहना है कि कालाजार उन्मूलन में हम सभी की सहभागिता सुनिश्चित करनी पड़ती हैं। तभी देशव्यापी मुहिम को शत प्रतिशत सफ़लता मिलेगी। ज़िले के किसी भी व्यक्ति में कालाजार से संबंधित लक्षण दिखे तो उसे अनिवार्य रूप से कालाजार की जांच कराना चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी की जानकारी मिल सके। कालाजार उन्मूलन अभियान में जीविका दीदी, आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता और मुखिया तथा जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित रहता है। जिले को कालाजार मुक्त करने के लक्ष्य को पूरा कराने में स्थानीय स्तर के सभी अधिकारियों एवं कर्मियों को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना होगा। विभागीय स्तर पर कालाजार बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपये केंद्र सरकार की ओर से दिए जाते हैं।
कालाजार उन्मूलन अभियान को लेकर विभागीय अधिकारियों द्वारा कई बार किया गया भौतिक सत्यापन और मूल्यांकन: डीवीबीडीसीओ
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ ओम प्रकाश लाल ने बताया कि कालाजार उन्मूलन अभियान को लेकर ज़िले के भगवानपुर हाट, बसंतपुर, गोरेयाकोठी और लकड़ी नाबीगंज प्रखंड के कालाजार प्रभावित गांव और मरीजों से मिलने के लिए केंद्रीय और राज्य स्तरीय टीम द्वारा कई बार भौतिक सत्यापन के साथ ही मूल्यांकन किया गया है। हालांकि कालाजार रोगियों की गृह भ्रमण कर खोज और घर घर छिड़काव का नतीजा आप सभी के सामने दिख रहा है। क्योंकि धीरे धीरे ही सही लेकिन अब जिले से कालाजार मुक्त की दिशा की ओर अग्रसर है। हालांकि ज़िले के पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) और विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) के इलाजरत मरीज़ों को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में रोगियों की जांच, इलाज एवं रहने या भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से निःशुल्क दिया जाता है। समय- समय केंद्रीय और राज्य स्तरीय टीम द्वारा कालाजार प्रभावित गांवों का निरीक्षण किया जाता है। साथ ही कालाजार के मरीजों से मुलाकात कर आवश्यक जानकारियां उपलब्ध कराई जाती है। इसके अलावा ज़िले से कालाजार को मिटाने के उद्देश्य से विभागीय स्तर पर चलाए जाने वाले जागरूकता अभियान का मुआवना भी किया जाता हैं। क्योंकि निरीक्षण के दौरान पदाधिकारियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सेविका, जीविका दीदी तथा पंचायत के प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित कर कालाजार मरीजों की पहचान कर स्वास्थ्य संस्थानों पर पहुंचाने के लिए प्रेरित किया जाता हैं। ताकि इस तरह की बीमारी को जड़ से मिटाया जा सके।
2013 से लेकर नवंबर 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में वीएल के 24 जबकि पीकेडीएल के मात्र 12 मरीजों की हुई पहचा: डीवीबीडीसी
जिला वेक्टर जनित रोग सलाहकार (डीवीबीडीसी) नीरज कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष
2013- वीएल - 454 जबकि पीकेडीएल 02
2014 - वीएल - 343 जबकि पीकेडीएल 02
2015 - वीएल - 335 जबकि पीकेडीएल 10
2016 - वीएल - 317 जबकि पीकेडीएल 43
2017 - वीएल - 323 जबकि पीकेडीएल 52
2018 - वीएल - 334 जबकि पीकेडीएल 83
2019 - वीएल - 297 जबकि पीकेडीएल 56
2020 - वीएल - 171 जबकि पीकेडीएल 42
2021 - वीएल - 112 जबकि पीकेडीएल 73
2022 - वीएल - 57 जबकि पीकेडीएल 51
2023 - वीएल - 43 जबकि पीकेडीएल 19 मामले सामने आया है जबकि नवंबर 2024 तक वीएल - 24 जबकि पीकेडीएल 12 का इलाज किया गया है। वहीं इस अभियान के तहत चिह्नित गांव के कालाजार मरीजों के घर से लगभग 500 मीटर की परिधि में कम से कम 250 घरों में जाकर कालाजार के संभावित मरीजों की खोज किया जाता है। हालांकि इस कार्य में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका काफ़ी महत्वपूर्ण होती है। जबकि इनके कार्यों का मूल्यांकन और अनुश्रवण आशा फैसिलिटेटर के द्वारा किया जाता है। ताकि कार्यों की गुणवत्ता बरकरार रहे। सबसे अहम बात यह है कि जिले में चिन्हित 196 प्रभावित गांव में कलाजार खोज अभियान को पूर्ण कर लिया गया है। इसके लिए जिला के लगभग 63071 घरों के 393924 प्रभावित आबादी के लिए 267 आशा कार्यकर्ता जबकि 87 आशा फेसिलेटर को लगाया गया था।