गली गली में......भूखा हिन्दुस्तान
✍️ बिजेन्द्र कुमार तिवारी (बिजेन्दर बाबू)
/// जगत दर्शन न्यूज
राजा मौज मनाता करता, झूठा अधम गुमान
गली-गली में बिलखे देखो, भूखा हिन्दुस्तान
फटी बिवाई मैले कपड़े चेहरा लगे मालिन
पेट पीठ में सटे हुए हैं हालत है अति दीन
आस भरी नजरों से देखे बेवस महल की ओर
व्यभिचारी अत्याचारी पर चले न कोई जोर
बिमारी से देह गला है, घर में नहीं अनाज
गूँगा बहरा दर्शक बनकर देखे सकल समाज
सूख गये हैं आँसू दोनों भरे हुए हैं नैन
जाने किसने लूटा इसके हिस्से का सुख चैन
बनी व्यवस्था लूट की कैसी दानव नहीं अघाते है
रोटी कपड़ा कफन साथ में सुख चैन खा जाते हैं
कौन इन्हें बतलाये बोलो कौन इन्हें समझाये
बाघ सा मुँह उठाकर भौके कौन इन्हें बतलाये
सबकी अपनी हिस्सेदारी सबका अपना हिस्सा है
सबकी अपनी अलग कहानी सबका अपना किस्सा है
अपने हिस्से का सुख भोगो उसमें मौज मनाओ
औरों के सुख चैन को बंधु बढ़े पेट मत खाओ
बढ़े पेट पर दानव लूटे बेवस और लाचारों को
भूखे नंगे सहमें सहते बेवस अत्याचारों को
मजदूरी को धरती चूमे महंगाई आकाश
जाने कैसे पूरी होगी मजबूरों की आश
नित् विदेश में राजा घुमे पाये धन सम्मान
देश के भीतर घुमें देखो भूखा हिन्दुस्तान
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