टीबी मुक्त अभियान-
आकांक्षी प्रखंड आंदर सीएचसी के अधिकारी और कमियों द्वारा मरीजों को गोद लेकर फूड बास्केट का किया गया वितरण:
खानपान पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए तो जल्द ही बीमारी ठीक हो सकते है टीबी मरीज: सीडीओ
स्वास्थ्य विभाग द्वारा निक्षय मित्र बनने के लिए किया जाता है प्रेरित: सिविल सर्जन
सिवान (बिहार): टीबी रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए शुरू किए गए टीबी मुक्त अभियान में जहां विश्व ने 2023 तक और भारत ने 2025 तक टीबी को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है। इसी दृढ़ इच्छाशक्ति और एक जुटता का परिचय देते हुए अधिक से अधिक निक्षय मित्र बनकर दृढ संकल्प और प्रतिबद्धता को पूरा करने के उद्देश्य से जिले के आकांक्षी प्रखंड आंदर बाजार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के परिसर में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मियों द्वारा टीबी रोगियों को गोद लेने के बाद यक्ष्मा के मरीजों के बीच पौष्टिक आहार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अमितेश कुमार ने कहा कि टीबी मुक्त अभियान के तहत स्थानीय सीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दीपक कुमार विश्वकर्मा ने 4 टीबी मरीज़ को गोद लिया है, तो खेढ़ाय स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) अभिषेक कुमार ने 2 मरीज, फार्मासिस्ट नीरज कुमार ने 1 मरीज जबकि जीएनएम प्रीतम कुमार ने 1 टीबी मरीज को गोद लेकर निक्षय मित्र बनने के बाद पौष्टिक आहार कि पोटली का वितरण किया गया है। हालांकि फिलहाल स्थानीय प्रखंड में 118 टीबी रोगियों का इलाज चल रहा है।
इस अवसर पर एमओआईसी डॉ अमितेश कुमार, एसटीएस बबलू कुमार शर्मा, बीसीएम माधुरेंद्र कुमार, लेखा पाल हारून अहमद, एएनएम पूनम कुमारी और राधा पाण्डेय, डाटा ऑपरेटर संतोष कुमार सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।
खानपान पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए तो जल्द ही बीमारी ठीक हो सकते है टीबी मरीज: सीडीओ
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि टीबी की बीमारी हर किसी को कभी भी हो सकती है। लेकिन समाज में एक तरह से भ्रम फैला हुआ है कि गरीबी के कारण ही टीबी बीमारी होती है लेकिन ऐसा नहीं है। क्योंकि यह बीमारी कई प्रकार से होती हैं जबकि खानपान पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए तो छः महीने के अंदर बीमारी पर आसानी से विजय प्राप्त किया जा सकता है। निक्षय मित्र बनने के लिए communitysupport.nikshay.in पर लॉगिन करने के बाद प्रधानमंत्री टीबी मुक्त अभियान पर क्लिक करने के बाद निक्षय मित्र के आवेदन पत्र पर क्लिक कर अपनी पूरी जानकारी देते हुए आसानी से इस अभियान के साथ जुड़ा जा सकता है। इसके अलावा भी कोई भी इच्छुक व्यक्ति या संस्था निक्षय बनने के लिए अपने नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान या संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकता है। हालांकि टीबी की बीमारी कुछ वर्ष पहले तक दूसरे नज़रों से देखा जाता था लेकिन अब इसका इलाज आसानी से हो रहा है। जबकि सबसे अहम बात यह है कि सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी से संबंधित उचित परामर्श, जांच, इलाज के साथ ही दवा का वितरण पूरी तरह से निःशुल्क किया जाता है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा निक्षय मित्र बनने के लिए किया जाता है प्रेरित: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि भारत सरकार द्वारा शुरू की गयी निक्षय मित्र योजना रोगियों के लिए सकारात्मक पहल के रूप में समाज के सामने आ रही है। सबसे अहम बात यह है कि टीबी रोगियों के उपचार में सहायता के साथ ही खानपान के लिए फूड पैकेट दिया जाता है। क्योंकि इलाजरत मरीजों के पोषण की जरूरतें पूरी होती हैं। टीबी बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए सामान्य नागरिक, गैर सरकारी संस्थान एवं ज़िले के जनप्रतिनिधियों सहित अन्य लोगों को निक्षय मित्र बनने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रेरित किया जा रहा है। निक्षय मित्र टीबी मरीजों को पोषण के साथ- साथ रोजगार के लिए अवसर उपलब्ध कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि टीबी जैसी बीमारी का इलाज जिला से लेकर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में विभागीय स्तर पर किया जाता है। वैसे हमलोग भी क्षेत्र भ्रमण के दौरान टीबी मरीजों सहित कई अन्य बीमारियों से पीड़ित रोगियों से मिलकर दुःख दर्द से वाकिफ होते हैं। हालांकि जिला यक्ष्मा पदाधिकारी या अन्य अधिकारियों द्वारा टीबी रोगियों को हर तरह से सकारात्मक माहौल बनाकर सहयोग किया जाता है।