संस्कृत और संस्कार की शिक्षा देकर लोगों को जागरूक करती रायपुर की नीरजा वर्मा
✍️प्रेरणा बुड़ाकोटी/ दिल्ली
रायपुर की नीरजा वर्मा ने जब महसूस किया आजकल बच्चों में अपने संस्कृति और सभ्यता का ज्ञान कम होते जा रहा है उन्होंने रिटायरमेंट के बाद एक पुस्तक छपाई और उन्हें स्कूलों की लाइब्रेरी तथा गरीब बच्चों के घरों और उनके स्कूलों में जाकर वितरित किया। अपनी सोसाइटी के बच्चों को अक्सर गार्डन में बैठ कर नैतिक कहानिया, ईश्वर और धर्म की कहानी तथा देशभक्ति की कहानी सुनना शुरू किया आज काफी बच्चे उनके पास शाम के समय बगीचे में आकर बैठते हैं और वह उन्हें नैतिक ज्ञान देशभक्ति के प्रति जागरूक ता अपने घर के बड़ों की इज्जत और मर्यादा तथा धर्म संस्कृति संस्कार से संबंधित व्यवहार की शिक्षा देते रहती हैं। आज पेरेंट्स भी उनकी राह देखते हैं और वह अपने हाव-भाव तथा भाषा से उन्हें कहानियां सुनाती हैं।
पर्यावरण से संबंधित सुझाव की जानकारी भी देती हैं पेड़ पौधे अपनी सोसाइटी में बच्चों से लगवाई तथा पॉलिथीन निषेध और कपड़ों की थैली का प्रयोग करने कचरा यहां वहां ना फेक आदि की शिक्षा भी देने लगे हैं। पौधे सिर्फ उगना नहीं उनकी देखभाल करना भी जरूरी है आज भी अच्छे से जानते हैं। पशु पक्षियों के प्रति भी पानी और अनाज की घरों में व्यवस्था करने लगे हैं तथा जानवरों को कोई ना सताए यह भी ध्यान देते हैं और अन्य लोगों या बच्चों को समझाते रहते हैं। रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें देश समाज के प्रति बच्चों को सुधारने का एक लक्ष्य बना रखा है और इसी और अग्रसर है।वह एक साहित्यकार भी है साहित्य और संस्कृति के प्रति विशेष रुहान रहा है।