दीपावली और धनतेरस
✍️ संजय जैन "बीना" मुंबई
**********************
दीपावली मनाने का उद्देश्य**********************
**************
चलो लेते है हम संकल्प
इस दीपावली पर कुछ।
नही चलाएंगे अब से
फटके और आतिशबाजी।
और रोकेंगे हम मिलकर
जीव हिंसा को इस बार।
करेंगे भावों को निर्मल
और पूजेंगे ईश्वर को।।
हमारे ग्रंथो में मिलता है
दीपावली का वर्णन।
मनाते क्यों है हम सब
इस त्यौहार को मिलकर।
अलग अलग मान्यताएँ है
दीपावली को मनाने की।
जैनों के चौबीसवे तीर्थंकर
गये थे इस दिन मोक्ष।।
राक्षसो का अंत करके
जब लौटे थे जानकी श्रीराम।
तो स्वागत में अयोध्यावासीयों ने
जलाये थे उस समय दीपक।
और हिंसा पर अहिंसा का
मनाया था ये दिवस।
जिसे हम सब कहते है
दीपावली का त्यौहार।।
कुछ लोगों की मान्यताएँ है
की धन की देवी लक्ष्मीजी।
कार्तिक माह में अक्सर
गमन करती रहती है।
इसलिए उन्हें बुलाने को
घरों में जलाते है दीपक।
की रोशनी देखकर देवी
करें हमारे घर में प्रवेश।।
जिसे जो जो समझना है
उसे वो ही जाने माने।
हमें तो श्रृध्दा भक्ति का
मिलता है इस दिन मौका।
इसलिए मनाते है हम
दीपावली के त्यौहार को।
और अपने अपने धर्मानुसार
बस करते है पूजा और भक्ति।।
**************
दीप जलाओं
**************
दीप जलाओ मिलकर सबजन।
दूर करो अंधकार को तुम।
घर में रोशनी कर लो अपने।
इस दीपावली पर सबजन।।
घर का कचड़ा साफ करो तुम।
और मनको भी तुम शुध्द करो।
जगमग कर दो गली मौहल्ले।
और रोशन कर लो अपने घरको।
खुशीयाँ भर दो दिलों में सबके।।
इस दिपावली पर सबजन।।
घर-घर जाकर खुशीयाँ बाटो
और देते जाओं बधाईयाँ तुम।
तुम्हें मिलेगा सदा ही आशीष
अपने बड़े बूढ़े और गुरुजन का।
मिलजुल कर तुम रहो सभी जन
दीपावली के इस त्यौहार पर।
तभी मिलेगी धन संपदा तुमको
इस दिपावली के अवसर पर।।
दीप जलाओ मिलकर सबजन
दूर करो अंधकार को तुम।
घर में रोशनी कर लो अपने।
इस दीपावली पर सबजन।।
**************
धनतेरस
***************
चहात तो रखते है
धन की सभी जन ।
पर उस धन का वो
उपयोग नही करते।
धन आने पर बंद,
तिजोरी में करते है।
पर लक्ष्मीजी तो लोगों
चंचल होती है।
तो उन्हें कैद तुम
कैसे कर सकते हो।।
धन और विद्या में
बहुत अंतर होता है।
दोनों का मिलन भी
बहुत कम होता है।
वास जहाँ लक्ष्मीजी करती है
अभाव वहाँ सरास्वती का होता है।
बड़ा ही अजीब खेल,
उस विद्यता ने रचा है।
जहाँ दोनों का साथ
कम ही रहता है।।
विद्या से जो करते है,
धन का उपयोग।
वही पुण्यात्मा और
दानवीर कहलाते है।
इसलिए समाज में,
उच्च स्थान पाते है।
और जरूरत मंदो को,
उच्च शिक्षा दिलाते है।
और शिक्षित समाज का
निर्माण कर पाते है।।
✍️ संजय जैन "बीना" मुंबई