जिले के दरौली प्रखंड के गांवों में सिकल सेल को लेकर चलाया गया जागरूकता अभियान!
जनभागीदारी को सुनिश्चित करने और बड़े पैमाने पर जागरूकता लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर बनाया जाएगा निगरानी तंत्र: सिविल सर्जन
बीमारी की रोकथाम के लिए शादी से पहले स्क्रीनिंग और आनुवंशिक परामर्श महत्वपूर्ण: पीरामल स्वास्थ्य
सिवान (बिहार): सिकल सेल एनीमिया एक आनुवंशिक रोग है, जो मुख्य रूप से दूसरे देशों और कुछ अन्य जनसंख्या समूहों में पाया जाता है। लेकिन इसको जड़ से मिटाने के लिए कई तरह से उपाय किए जा सकते हैं, जिसमें मुख्य रूप से जागरूकता और शिक्षा, सामुदायिक और विद्यालय स्तर पर स्क्रीनिंग और आनुवंशिक परामर्श, उचित चिकित्सा और उपचार के अलावा सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियां अपनानी पड़ेगी, जिसको लेकर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में सिकल सेल को लेकर जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इसको लेकर दरौली प्रखंड के विभिन्न गांवों में सामुदायिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया गया। इस दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) अभिषेक राय, एएनएम चांदमुनि कुमारी, आशा फैसिलिटेटर मनोरमा देवी, आशा कार्यकर्ता संगीता देवी, आंगनबाड़ी सेविका सुधा देवी, जबकि गड़वार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) की सीएचओ प्रिया सिंह, प्रभात कुमार, फार्मासिस्ट प्रेम कुमार राय, एएनएम पुष्पा राय, पीएमडब्लयू रमेश भगत, एएफएस मुन्ना देवी, आशा कार्यकर्ता देवांती देवी सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद रहे।
जनभागीदारी को सुनिश्चित करने और बड़े पैमाने पर जागरूकता लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर बनाया जाएगा निगरानी तंत्र: सिविल सर्जन।
सिविल सर्जन डॉ श्रीनिवास प्रसाद ने बताया कि सामुदायिक स्तर पर युवतियों और महिलाओं की स्क्रीनिंग के बाद सभी को उनके ही भाषा में स्मार्ट कार्ड दिया जाएगा। जिससे शादी करने वाला लड़का और लड़की को आसानी से पता चल जाएगा कि शादी के बाद होने वाले बच्चों में सिकल सेल से ग्रस्त होने की संभावना कितनी है, ताकि उचित निर्णय लिया जा सके। इस पूरे कार्यक्रम को चलाने के लिए जनभागीदारी को सुनिश्चित करने और बड़े पैमाने पर जागरूकता लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर निगरानी तंत्र बनाया जाएगा। ताकि स्क्रीनिंग में बीमार पाए जाने वाले लोगों को नियमित रूप से जांच हो। साथ ही नियमित अंतराल पर उचित परामर्श की सुविधा मिलती रहे, वह भी सुनिश्चित किया जाएगा। सिकल सेल रोग से पीड़ित व्यक्तियों को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं, जिनमें शरीर में दर्द रहना, कमजोरी रहना और खून की कमी जैसे कारणों से मरीज का पूरा जीवन बीमारी के बीच काटता हैं। सिकल सेल एनिमिया रोग को खत्म करने के लिए दो पहल पर कार्य किया जा रहा है। जिसमें पहला है - इस रोग की रोकथाम, ताकि आगे नए मरीज पैदा न हो और जो मरीज है उसके उपचार प्रबंधन और अच्छे स्वास्थ्य सुविधा कैसे उपलब्ध हो उसके लिए वृहत कार्य योजना तैयार की जा रही है।
बीमारी की रोकथाम के लिए शादी से पहले स्क्रीनिंग और आनुवंशिक परामर्श महत्वपूर्ण: पीरामल स्वास्थ्य
पिरामल स्वास्थ्य के कार्यक्रम प्रबंधक राजेश तिवारी ने कहा कि दरौली प्रखंड के मरौठा एवं गड़वार गांव में लगभग 150 किशोरियों का एनीमिया जांच किया गया गया। क्योंकि एनीमिया को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार सामुदायिक स्तर पर सभी किशोरियों की जांच कर किशोरावस्था में ही इसे समुचित इलाज कर आने वाले दिनो के लिए इन्हें बेहतर जीवन जीने कर लिए कटिबद्ध है। इसी को लेकर उपरोक्त दोनो गांव में कैंप लगा कर जांच और इलाज किया गया। सिकल सेल में लाल रक्त की कोशिकाएं असामान्य रूप से आकार में सिकल होती हैं। इस बीमारी के लक्षणों में अत्यधिक थकान, पीड़ा, सूजन, और संक्रमण की प्रवृत्ति शामिल हैं। रोगी अक्सर तीव्र दर्द के एपिसोड का सामना करते हैं, जिन्हें "सिकल सेल क्राइसिस" कहा जाता है। यह स्थिति रक्त प्रवाह में रुकावट पैदा करती है, जिससे अंगों में ऑक्सीजन की कमी होती है। सबसे अहम बात यह है कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए शादी से पहले स्क्रीनिंग और आनुवंशिक परामर्श महत्वपूर्ण हैं, ताकि इससे प्रभावित जोड़ों की पहचान हो सके। जागरूकता बढ़ाना और उचित स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना भी आवश्यक है।