अधिनियम 1960 के तहत मृत्यु भोज कानूनी अपराध है।: भंते बुद्ध प्रकाश
सारण (बिहार) संवाददाता मनोज सिंह: भारतीय संविधान के अधिनियम 1960 के तहत मृत्यु भोज कानूनी अपराध है। यह अंधविश्वास और पाखंड है जो देश में गरीबी भुखमरी का कारण है। यदि मृत्यु भोज को बंद कर दिया जाए तो देश की गरीबी,भुखमरी एवम बेरोजगारी खत्म हो जाएगी। उक्त बातें अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य सह साइंस फॉर सोसायटी पटना के भंते बुद्ध प्रकाश ने कही।
श्री भंते बुद्ध प्रकाश सोमवार को मांझी प्रखंड के ताजपुर गांव में वीर बहादुर मांझी की माता के परिनिर्वाण निवारण दिवस के अवसर पर आयोजित शोक सभा को सम्बोधित करते हुए कही। इस अवसर पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने भाग लिया और पाखंड का जोरदार विरोध किया। भंते बुद्ध प्रकाश ने कहा की बड़े लोग माध्यम वर्गीय लोगों का श्राद्ध कर्म कराते हैं। लेकिन गरीब मजदूर लोग श्राद्ध के बोझ से दबे होने के कारण अपने बच्चों को शिक्षित नहीं कर पाते हैं। भंते ने कहा कि आदमी जब मर जाता है तो इसे जला दिया जाता है अथवा दफना दिया जाता है। अंतिम संस्कार वहीं पर खत्म हो जाता है। लेकिन ढोंगी व पाखंडियों के द्वारा श्राद्ध के नाम पर डर फैला कर गाय दान,पलंग दान आदि अंधविश्वास फैलाया जाता है। आदमी जब मर जाता है तो उसे जलाने अथवा दफना देने के बाद भौतिक शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाता है इसके बाद कोई क्रिया कर्म की जरूरत नहीं है। भंते बुद्ध प्रकाश ने कहा कि अंधविश्वास भगाओ देश बजाओ जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। अन्यथा इन पाखंडियों के चलते गरीब व मजबूर लोग एक तो मौत से दुखी रहने के अलावा कर्ज के बोझ से दब जाते हैं। इस मौके पर दर्जनों गणमान्य लोग शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता लक्ष्मण माँझी ने किया।