संक्रामक बीमारियों से बचाव और एंटीबॉडीज व प्रोटीन से भरपूर मां का दूध!
विश्व स्तनपान सप्ताह सफलता पूर्वक हुआ संपन्न-
अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर के प्रसव कक्ष के सभागार में अंतिम दिन चलाया गया जागरूकता अभियान! संक्रामक बीमारियों से बचाव और एंटीबॉडीज व प्रोटीन से भरपूर होने के कारण अनिवार्य रूप से नवजात शिशुओं को मां का पहला गाढ़ा व पीला दूध अनिवार्य रूप से पिलाना चाहिए!
सारण (बिहार): नवजात शिशुओं के पोषण के प्रति जागरूता लाने के उद्देश्य से विगत 01 से 07 अगस्त तक बिहार सहित सारण जिले के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया गया। उक्त बातें अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पूनम कुमारी ने प्रसव कक्ष में उपस्थित आशा कार्यकर्ता, ममता, गर्भवती महिलाएं और धात्री माताओं सहित नवजात शिशुओं के परिजनों को स्तनपान सप्ताह के अंतिम दिन जागरूकता अभियान के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि जहां स्तनपान का मुख्य उद्देश्य नवजात एवं शिशुओं में बेहतर पोषण को सुनिश्चित कराना था। वहीं शिशुओं के रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर उन्हें संक्रामक रोगों के प्रति सुरक्षित करना स्वास्थ्य विभाग का पहला मुख्य उद्देश्य है। जिसके आलोक में अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर के प्रसव कक्ष में जीएनएम, एएनएम और गर्भवती के अलावा प्रसूता माताओं सहित उनके अभिभावकों को जागरूक किया गया। साथ ही धात्री माताओं को बताया गया कि मात्र स्तनपान कराने से शिशु का समग्र शारीरिक और मानसिक विकास होता है। साथ ही बच्चों का आइक्यू लेवल यानी उसके सोचने और समझने की स्तर उंचा रहता है। नवजात को मां का पहला गाढ़ा व पीला दूध अनिवार्य रूप से पिलाना चाहिए। क्योंकि यह एंटीबॉडीज व प्रोटीन से भरपूर होता है और कई प्रकार की संक्रामक बीमारियों से रक्षा भी करता है। समुचित स्तनपान करने वाले बच्चों में मोटापा, उच्च रक्त चाप एवं डायबिटीज होने की संभावना कम होने के साथ ही मां के स्वास्थ्य की भी सुरक्षा करता है।
बच्चों को खाना खिलाने से पहले और बाद में अनिवार्य रूप से हाथ धोना चाहिए: अस्पताल प्रबंधक
अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर के अस्पताल प्रबंधक मृत्यंजय पाण्डेय द्वारा स्थानीय अस्पताल में प्रसव कराने के लिए आई गर्भवती महिलाओं और शिशु के परिजनों सहित आशा और ममता को नियमित और अधिकाधिक स्तनपान के फायदों के बारे में जानकारी दी गई। साथ ही 6 माह की उम्र के बाद बच्चों के अनुपूरक आहार देने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया गया। वहीं उपस्थित आशा कार्यकर्ता, ममता, गर्भवती महिलाएं, धात्री माताएं और नवजात शिशुओं के अभिभावकों से अपील किया गया कि नवजात शिशु के 6 महीने पूरे होने के बाद उसे स्तनपान के साथ अनिवार्य रूप से संपूरक आहार देना चाहिए। वहीं शिशु को 2 साल तक स्तनपान जारी रखना और बच्चे को अलग से कटोरी में संपूरक आहार खिलाना होता है। खाना बनाने, खिलाने या स्तनपान कराने से पहले 40 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना जरुरी है। साथ ही 06 महीने के बच्चे को कम से कम 3 चम्मच खाना दिन में 2 से 3 बार, 6 से 9 महीने के बच्चे को आधा कटोरी खाना दिन में 2 से 3 बार, 9 से 12 महीने के बच्चे को आधा कटोरी खाना दिन में 2 से 3 बार और 1 से 2 साल तक के बच्चे को एक कटोरी खाना दिन में 3 से 4 बार ध्यान में रखकर खिलाना उपयोगी साबित होता है।
जिले के विभिन्न अस्पतालों में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन कर स्तनपान कराने को लेकर किया गया जागरूक: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया की जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में विश्व स्तनपान सप्ताह के मद्देनजर विभागीय स्तर पर आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं सहित अस्पतालों के स्टाफ नर्स, एएनएम, आरएमएनसीएच प्लस ए परामर्शी, ममता, चिकित्सक एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी को प्रसूताओं व धात्री महिलाओं को नियमित स्तनपान के फायदों के संबंध में जानकारी देने के लिए कहा गया था। जिसके आलोक में एक सप्ताह तक विभिन्न प्रकार के आयोजन कर कार्यक्रम को सुचारू रूप से किया गया। क्योंकि जन्म के 01 घंटे के अंदर नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने मात्र से नवजात शिशु मृत्यु दर में लगभग 20% प्रतिशत तक की कमी लाई जा सके। वहीं 6 माह तक सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से 11% एवं निमोनिया से 15% तक मृत्यु की संभावना कम होती है। हालांकि 06 माह के बाद शिशु को संपूरक आहार देने के साथ कम से कम 2 साल तक शिशु को स्तनपान कराना अनवरत जारी रखना चाहिए। क्योंकि संपूरक आहार से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास संतुलित होता है।
इस अवसर पर अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ पूनम कुमारी, डॉ प्रतिभा सिंह, डॉ अनुभा सिंह, डॉ नैना, अस्पताल प्रबंधक मृत्यंजय पाण्डेय, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, प्रसव कक्ष की प्रभारी अनुराधा कुमारी, जीएनएम, पूनम कुमारी , विभा, प्रियंका, दीप्ति, सुनीता, एएनएम स्कूल की छात्राएं, आशा कार्यकर्ता और ममता के अलावा गर्भवती और धात्री माताएं उपस्थित थी।
स्तनपान से जुड़ी जरूरी बातों का रखें ध्यान:
- जन्म के एक घंटे के अंदर अनिवार्य रूप से नवजात शिशु को स्तनपान जरूर कराएं।
- मां के दूध में मौजूद एंटीबॉडी बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में होता है मददगार साबित।
-मां को बुखार, खांसी या सांस लेने में हो तकलीफ़ हो तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना चाहिए।
-छींकने या खांसने के बाद, दूध पिलाने से पहले एवं बाद में हाथों को पानी एवं साबुन से 40 सेकंड तक धोएं।
-यदि मां स्तनपान कराने में असमर्थ हो तो अपना दूध कटोरे में निकाल कर पिलाना चाहिए।
-स्वास्थ्य संस्थान में या किसी अन्य स्वास्थ्य कर्मी द्वारा दूध की बोतलें, निप्पल या डमीज को बढ़ावा नही देना चाहिए।