कौन किसका...
रिश्तों का अर्थ देखो कैसे लोग भूल गये है। होते क्या थे रिश्तें क्या समझाए अब उनको। कितनी आत्मीयता होती थीसभी के दिलों में।मिलने जुलने की तो छोड़ों आँखें मिलाने से डरते है।।कौन किस का क्या हैकिसको सोचने का वक्त है।मैं बीबी बच्चें बस साथ हैयही हमारी अब दुनियां है।इसके अलावा किसी को,कुछ भी दिखता नही हैं।इसलिए इनकी दुनियां रह गईचार दीवार के अंदर तक।।विचित्र समय आ गया हैइंसान इंसान से भाग रहा है।बड़ा आदमी क्यों न होपर सोच छोटी हो गई है।न जिंदा में अब मतलब हैऔर न मौत में उसे मतलब ।मानों इंसानियत अब सबकीदेखों मर चुकी है।।
आचरण
राम कृष्ण हनुमान की
करते सब बातें।
करे नहीं अमल पर
उनके आचरणों को।।
आये जब संकट तो
याद आये हनुमान।
हे संकट मोरचन तुम
हरो हमारे कष्ट।
मैं अर्पित करूँगा
तुम्हें घी और सिंदूर।
सुख शांति मुझे दो
मेरे पालन हार।।
बात करें जब भी
हम मर्यादाओं की।
याद आ जाते है
श्रीराम चंद्र जी।
उन जैसा कोई और
नहीं हैं मर्यादापुरूषोत्तम।
इसलिए हर नारी पूजे
उन्हें श्रध्दा भक्ति से।।
अब हम बात करें
स्नेह प्यार मोहब्बत की।
मन में याद आ जाते
हमें मुरली वाले जी।
कितनी लीलाएं रची
प्यार मोहब्बत की।
इसलिए अमर है जग में
राधा कृष्ण की जोड़ी।।
राम कृष्ण हनुमान की
करते सब बातें।
करे नहीं अमल पर
उनके आचरणों को।।
चल चित्र
चल चित्र का आज कल
क्या हाल हो रहा है।
देखो अब दर्शको का
टोटा सा पड़ रहा है।
एक जमाना था चलचित्रों का
जो देखते ही बनता था।
पर अब हाल बहुत बुरा है
देखों चल चित्रों का।।
लड़ते मरते थे दर्शक
देखने को पहला शो।
हालत ये होते थे कि
दूगने में टिकट लेते थे।
पर शो पहला देखकर
बहुत खुश होते थे।
अब चल चित्रों को देखने
दे रहे है उपहार।।
देखते ही देखते बदल गई
देखो दर्शको की सोच।
वैसे भी अब चल चित्र
नही बन रहे पहले जैसे।
न होती है कोई कहानी
और न ही होता है संगीत।
इसलिए दर्शको में अब
नही बचा देखने का उत्साह।।
चलते चलते बता देते है
चल चित्रों का हम चित्रण।
कैसे कैसे दृश्यों को वो
दिखा रहे है चल चित्रों में।
पहले और अब में देखो
कितना अंतर आ गया है।
जिसका कू-प्रभाव पड़ रहा
हमारे देश के युवाओं पर।।
न कोई अब संदेश होता है
और ही शिक्षाप्रद कोई बात।
जिसको देखकर लोग अब
सुधार कर सके समाज को।
इसलिए चल चित्रों में पहले
कुछ संदेश होते थे।
जो समाज की कुरीतियों को
उजागर कर देते थे।।