चले जाने के बाद!
/// जगत दर्शन न्यूज
अंजाने से उस लोक में
प्रिये तुम चली गई।
अकेला मुझे क्यूँ
कर गयी?
आज तुम्हें देखने की प्यास
गहरी हो रही है।
मन तुम्हें सुनना
करीब से देखना चाह रहा है।
मेरे जीवन की शाम ढलने जा रही है।
अचानक मुझे कुछ यूँ लगा
तुम बेहद करीब आ रही हो
क्यूँ कहा करती हो
दूर बड़ी दूर चली गई हो।
मेरे ख्वाबो। ख़याल में
पल। पल बसर कर रही हो।
कुछ ऐसे लग रहा है
हवाओं की ताजगी में
खुशबू सी बन कर बिखर रही हो।
ख्वाब नहीं सच बनकर। चली आओ
धड़कनों के करीब हो जाओ।
तुम भला कब गई थी?
मुझसे बिछड़ कर।
याद कर रहा सपनो से निकल कर
उस सर्द सी रात अचानक
तुम अपना जिस्म मेरे हवाले कर
चली गई थी मेरी
दुनिया के उस पार।
आज जाने क्यूँ बार बार
मुझे यूँ लग रहा है
वो पहली प्रथम मुलाकात की तरह
बाहों में तुम समाए जा रही हो।
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