प्रोफ़ेसर सत्य देव राय: साहित्य रुचि का एक अध्याय!
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सारण (बिहार) संवाददाता वीरेश सिंह: प्रोफ़ेसर सत्य देव राय का जन्म बिहार राज्य अंतर्गत सारण (छपरा) जिला के बनपुरा नामक गाँव में 1948 में एक बडे किसान परिवार में हुआ था। जमींदारी उन्मूलन के बाद बदले हुए सामाजिक परिवेश में बचपन में तालमेल बैठाना आसान नहीं था। इसलिए अपने को अध्ययन में अग्रणी रखते हुए कृषि कार्यों में हाथ बंटाना चुनौतीपूर्ण कार्य था। लेकिन, जुझारू सोच के साथ सभी परिस्थितियों का सामना करते हुए कदम कभी रूके नहीं। तत्कालीन बिहार विश्वविद्यालय के राजेन्द्र कालेज, छपरा से भौतिकी से स्नातक करने के बाद गाँव के पास एक हाई स्कूल में कुछ महीने अध्यापन का कार्य किया। फिर 1969 में देश की राजधानी दिल्ली आ गये तथा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से भारत सरकार में कैरियर तलाशने लगे। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में चार दशक तक अनेक महत्वपूर्ण उच्च पदों पर दायित्व निर्वहन किया। 2008 में संयुक्त निदेशक के पद से सेवा निवृत्ति के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अपना बसेरा बना कर रहने लगे। तब से कई सामाजिक संस्थाओं में काम किया और हिन्दी साहित्य की सेवा में लग गये। सेवा निवृत्ति के करीब बारह वर्षों बाद अपने मित्रों की सलाह पर अगस्त 2020 से - ग्लोबल भोजपुरी लिटरेचर फाउण्डेशन के माध्यम से मातृ भाषा भोजपुरी का ऋण उतारने में लगे हैं। जीवन के तमाम उतार- चढ़ाव के बीच प्रो राय ने संगीत के प्रति अपनी रूचि के साथ समझौता नहीं किया। आज भी प्रतिदिन वेदांत स्वाध्याय और योग प्रशिक्षण के द्वारा अपने को व्यस्त रखते हैं।